कचरे से आजादी की जंग में एनजीओ खींच रहा कदम

जमुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को कचरे से मुक्ती के लिए नागरिकों से देश को कचरे से आजादी दिलाने का आह्वान किया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 06:23 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 06:23 PM (IST)
कचरे से आजादी की जंग में एनजीओ खींच रहा कदम
कचरे से आजादी की जंग में एनजीओ खींच रहा कदम

जमुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को कचरे से मुक्ती के लिए नागरिकों से देश को कचरे से आजादी दिलाने का आह्वान किया है। उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो की तर्ज पर कचरे भारत छोड़ो का नारा देकर 15 अगस्त तक देश के सभी नागरिकों को स्वच्छता की इस मुहिम में शामिल होने की अपील की है। प्रधानमंत्री के आह्वान का असर जमुई नगर परिषद में भी देखने को मिल रही है।

नगर परिषद स्वच्छ जमुई, सुंदर जमुई को धरातल पर उतारने में जुट गया है। शहर की मुख्य सड़कों पर झाडू लगाने के साथ-साथ ब्लीचिग और चुना का छिड़काव किया जा रहा है। नप अधिकारी खुद साफ-सफाई की मॉनीटरिग करते दिखते हैं। सफाई कर्मी भी सचेत होकर समय से सफाई कार्य में लगे हैं, लेकिन सफाई कार्य का जिम्मा लेने वाले एनजीओ ग्रहण लगा रहे हैं। नगर परिषद क्षेत्र अन्तर्गत पड़ने वाले सभी 30 प्रभाग के साफ सफाई का जिम्मा तीन एनजीओ के हाथों में है। नगर परिषद खुद से सफाई कार्य में अपनी भूमिका निभाने में सफल नहीं हो पा रही है, क्योंकि सफाई का सारा पैसा एनजीओ के खाते में जा रहा है। एनजीओ शहर में सफाई तो कर रहा है, लेकिन जिस प्रकार से नगर परिषद और एनजीओ में सफाई कार्य को लेकर एकरारनामा किया गया है और जो शहर की जरूरत भी है उसमे एनजीओ खरा नहीं उतर पा रहा है। बीते नवंबर से ही लगभग 28 लाख प्रतिमाह पर एनजीओ ने पूरे शहर की सफाई कार्य का जिम्मा लिया था। तब से लेकर आज तक एकरारनामा के मुताबिक एनजीओ एक दिन भी कार्य नहीं कर सका है। बताया जाता है कि एकरारनामा के मुताबिक एनजीओ को दो पालियों में हर घर से कचरा उठाव करना है। यहां दो पाली तो छोड़ दें शहर के प्रत्येक घरों तक आज भी एनजीओ के ट्राली कर्मी कचरा लेने नहीं जा पा रहे हैं। गिने चुने जगहों से डोर टू डोर कचरा उठता है एवं कुछ चिन्हित जगहों पर झाडु लगवाकर कोरम पूरा कर रहा है। नगर परिषद में नए कार्यपालक पदाधिकारी अजीत कुमार ने कमान संभाली है। इनके पद संभालने के साथ ही सफाई व्यवस्था में सुधार होने लगा है।

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जनभागीदारी के बगैर स्वच्छ शहर का सपना अधूरा : डॉ. राजेश

सामान्यतया देखा जाता है कि लोगों घर का कचरा सार्वजनिक जगह डाल देते हैं। जिसके कारण शहर को कचरा मुक्त बनाने का सपना साकार नहीं हो पा रहा है। कचरे से आजादी दिलाने के लिए की गई घोषणा को सफल बनाने के लिए आम लोगों की भागीदारी ही पूरा कर सकता है। सरकारी तंत्रों पर जवाबदेही ठोकने मात्र से शहर को स्वच्छ बनाने का सपना हम नहीं देख सकते हैं। स्वयंसेवी संस्था को भी सिर्फ सफाई कर देने से शहर साफ नहीं दिखने लगेगा। इसके लिए नगर परिषद को विभिन्न स्तरों पर सतत निगरानी, अनुश्रवण, जागरुकता एवं आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास करना होगा। पूर्व के समय में न तो शहर में जनसंख्या का दबाव था और न ही जगह की कमी थी तो कचरा नहीं दिखता था। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ती गई और खुले मैदान की कमी होती गई। लिहाजा अब कई मुहल्ले में खेल के मैदान भी नहीं बचे हैं तो कचरा फेंकने की जगह कहां नसीब होगा। जिला बनने के बाद विभिन्न सरकारी गैर सरकारी कार्यालय की भी बढ़ोतरी हुई। पहले तो सभी कार्यालय में सफाई कर्मी कार्यरत हुआ करते थे। आज अधिसंख्य कार्यालय में सफाई कर्मी नहीं हैं। वर्तमान में शहर को प्लास्टिक मुक्त करना एक यक्ष प्रश्न बन गया है। यह तभी संभव है जब हम लोग पूरी मजबूती से संकल्प लें कि दैनिक जीवन में यथासंभव कम से कम प्लास्टिक से युक्त चीजों का प्रयोग करेंगे और उसे अन्यत्र नहीं फेकेंगे। प्लास्टिक से बनी चीजों का विशिष्ट प्रबंधन एक बहुत बड़ी समस्या है। इसे निजी और सरकारी स्तर पर इसके लिए रणनीति बनाने की जरूरत है। सामान्यत: लोग भवन निर्माण व उनकी तोड़फोड़ से निकले मलबे को कचरे में फेंक देते हैं। जिसके कारण उसका प्रसंस्करण करना काफी मुश्किल होता है। रोजमर्रा के जीवन में कचरा एक देशव्यापी समस्या बन गई है। जिसे सिर्फ सरकारी संसाधनों से नहीं बल्कि हम सभी के सामूहिक एवं सतत प्रयास की जरूरत है। कचरे के निपटान के लिए हम सबको पहले मानसिक तौर पर तैयार होना पडे़गा। प्रारंभिक प्रयास हम सबको अपने घर से करने की जरूरत है। प्राय: ऐसा देखा जाता है कि घरों से निकलने वाले कचरे को बिना अलग किए एक साथ फेक देते हैं, जबकि यदि सुखा गिला को अलग अलग कर दिया जाए तो हम समझते हैं कि 50 प्रतिशत का निपटान बहुत आसानी से हो सकता है। उससे तैयार उत्पाद का उपयोग भी कर सकते हैं। वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से यदि कचरा का निपटान किया जाता है तो कचरे से वह मूल पदार्थ प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए न सिर्फ सोचने की जरूरत है बल्कि सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। जैसे-जैसे हम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक हो रहे हैं उतना ही हम कर्तव्य से दूर होते दिखते हैं। जनभागीदारी के बगैर कचरा का निपटान की समस्या हल होने वाला नहीं है। जिस दिन देश की 130 करोड़ जनता सोच लेगी कि हमें किस प्रकार कचरे का निपटान करना है उसी दिन से समस्याएं स्वत: आधी हो जाएगी।

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