सउदी और दुबई से आए लोग फिर भी पोहे गांव महफूज
जमुई। ग्रामीणों की सतर्कता कहें या फिर मजबूत प्रतिरोधक क्षमता का असर संक्रमण की दूसरी लहर में भी जमुई का पोहे खुशहालपुर गांव संक्रमण से महफूज है।
जमुई। ग्रामीणों की सतर्कता कहें या फिर मजबूत प्रतिरोधक क्षमता का असर, संक्रमण की दूसरी लहर में भी जमुई का पोहे खुशहालपुर गांव संक्रमण से महफूज है। यह स्थिति तब है जब बड़ी संख्या में देश-विदेश से कामगारों की घर वापसी हुई है। साथ ही घनी आबादी और गरीबी से भी गांव अभिशप्त है।
यहां बताना लाजिमी है कि गांव की कुल आबादी का तीन चौथाई हिस्सा पीएचएच कार्डधारी है। जमुई जिला अंतर्गत सिकंदरा प्रखंड का पोहे खुशहालपुर गांव अपने पंचायत का मुख्यालय भी है। लिहाजा यह बताने की जरूरत नहीं है कि पंचायत में सर्वाधिक आबादी उक्त गांव की ही है। संक्रमण से अछूता रहने की सबसे बड़ी वजह ग्रामीणों की सतर्कता बताई जाती है। पूर्व प्रमुख एवं विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे सिधु कुमार पासवान बताते हैं कि संक्रमण का दौर शुरू होते यहां के लोगों ने सबसे पहले बाजार से दूरी बनाई। इसके बाद मास्क का प्रयोग तथा शारीरिक दूरी को आदत में शुमार किया। नतीजा यह हुआ कि संक्रमण काल के प्रथम दौर से लेकर अबतक यहां कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ, जबकि सउदी अरब तथा दुबई से आधा दर्जन से अधिक लोगों के अलावा देश में हॉट स्पॉट दिल्ली, सूरत, कोलकाता तथा महाराष्ट्र और तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में कामगारों की घर वापसी हुई है। बड़ी बात यह है कि गांव में शहरों जैसी घनी आबादी है। यहां कुल चार हजार से अधिक की आबादी है तथा 2435 मतदाता हैं।
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आंकड़ों के आईने में पोहे खुशहालपुर गांव
आबादी- 4000
मतदाता- 2435
कुल परिवार- 650
पीएचएच कार्डधारी - 450
जातियों की संख्या- 22
प्रखंड मुख्यालय से दूरी- पांच किलोमीटर
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90 फीसद आबादी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक
पोहे खुशहालपुर गांव में अधिकांश आबादी पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यकों की है। यहां मुस्लिम, भूमिहार, यादव, पासवान,नाई, मांझी, पासी, ढांढ़ी, ततवा सहित 22 जाति के लोग निवास करते हैं। घनी आबादी की स्थिति यह है कि अधिकांश परिवारों की एक ही कमरे में जीवन व्यतीत करने की विवशता है। ग्रामीण किशोरी सिंह, आशो यादव, सुमन यादव, नसीम खान, सलीम खान, शंकर चौधरी, संजय तांती, रोहित तांती, कपिल राम सहित अन्य ने कहा कि बाजार से ही संक्रमण फैलने का डर होता है। इसलिए यहां के लोग सबसे पहले बाजार से दूरी बनाते हैं। फिर गांव में शारीरिक दूरी और मास्क (गमछा) के मंत्र का पालन करते हैं। पिछली बार जब सउदी और दुबई सहित देश के अन्य हिस्सों से कामगारों की वापसी हुई थी तो ग्रामीण काफी भयभीत थे। कामगारों और उसके परिवार के लोगों ने क्वारंटाइन की शर्तों का बखूबी पालन किया। नतीजतन संक्रमण से अछूता गांव की सूची में पोहे का नाम शुमार है।