चिलखारी नरसंहार के 14 साल पूरे, दूर नहीं हुआ दर्द

जमुई। बिहार झारखंड की सीमा पर स्थित चिलखारी मैदान पर चौदह साल पहले नक्सलियों ने हैवानियत की हद पार कर बीस लोगों की हत्या कर दी थी। घटना के चौदह वर्षों के इस कालखंड में इस क्षेत्र में नक्सलियों का वर्चस्व समाप्ति के कगार पर पहुंच गया है लेकिन घटना के बाद से लोगो के मन में समाया भय अब भी कम नही हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 06:56 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 07:00 PM (IST)
चिलखारी नरसंहार के 14 साल पूरे, दूर नहीं हुआ दर्द
चिलखारी नरसंहार के 14 साल पूरे, दूर नहीं हुआ दर्द

जमुई। बिहार झारखंड की सीमा पर स्थित चिलखारी मैदान पर चौदह साल पहले नक्सलियों ने हैवानियत की हद पार कर बीस लोगों की हत्या कर दी थी। घटना के चौदह वर्षों के इस कालखंड में इस क्षेत्र में नक्सलियों का वर्चस्व समाप्ति के कगार पर पहुंच गया है, लेकिन घटना के बाद से लोगो के मन में समाया भय अब भी कम नही हुआ है। इस घटना में राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र की भी हत्या हुई थी। घटना के बाद इस इलाके के समुचित विकास का वादा किया गया था, लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका है। चकाई की सीमा पर बसे इस गांव में विकास की किरण नही पहुंच पाई है। गांव के लोग विकास की बाट जोह रहे है।

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कैसे हुई थी घटना

घटना 26 अक्टूबर 2007 की है। झारखंड बिहार की सीमा पर चिलखारी उर्फ चिलखरियोडीह गांव स्थित उमवि चिलखरियोडीह स्थित मैदान पर तूफान स्पोर्टिंग क्लब चिलखारी की ओर से गांव स्थित मैदान पर तीन दिवसीय फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला चकाई प्रखंड के चाइना स्पोर्टिंग क्लब चडरी और गिरिडीह कालेज के बीच हुआ, जिसमें टाइब्रेकर में चडरी की टीम विजयी रही। प्रतियोगिता के समापन के बाद फुटबाल प्रतियोगिता आयोजन स्थल पर आदिवासी जतरा कार्यक्रम 'सोरेन ओपेरा' का आयोजन किया गया था। जिसमे आयोजक कमिटी की ओर से कार्यक्रम में विजेता और उपविजेता टीम के खिलाड़ियों और उनके साथ आए समर्थकों के लिए मुफ्त में जतरा देखने के लिए व्यवस्था की गई थी। बोकारो से पचासी सदस्यीय कलाकारों की टीम जिसमें 63 पुरुष और 22 महिला कलाकार शामिल थे, की ओर से कार्यक्रम की प्रस्तुति की जा रही थी। तभी इस क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों का दस्ता कार्यक्रम स्थल आ धमका।

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संगीत के बीच चीख पुकार से मची थी भगदड़

सभी लोग जतरा कार्यक्रम का आनंद उठा रहे थे। इसी क्रम में मध्य रात्रि में जब कार्यक्रम चरम पर था। भाकपा माओवादियों का दस्ता चिलखारी पहुंचा और कार्यक्रम स्थल को अपने कब्जे में लेकर अंधाधुंध फायरिग शुरू कर दी। फायरिग से गीत संगीत का कार्यक्रम चीख पुकार में तब्दील हो गया और लोगों मे भगदड़ मच गयी। माओवादियों के फायरिग में कार्यक्रम में अगली पंक्ति में बैठे झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत समेत बीस लोग मारे गए थे, जिसमें अठारह लोगों की मौत मौके पर हो गयी थी। वहीं एक युवक दिनेश वर्मा की मौत इलाज के लिए गिरिडीह ले जाने के क्रम में रास्ते में हो गयी थी। इस घटना में गोली लगने से घायल एक अन्य महिला पार्वती बास्के ग्राम लक्षुआडीह की मौत इलाज के दौरान रांची रिम्स में हो गयी थी। वहीं कार्यक्रम स्थल पर मौजूद बाबूलाल मरांडी के भाई नुनुलाल मरांडी बाल-बाल बच गए थे।

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20 लोगों की हुई थी मौत

घटना में बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी, चिलखारी के मुन्ना हेम्ब्रम, दुम्माटांड़ के मनोज किस्कु, गिरिडीह के छात्र नेता सुरेश हांसदा, सहित गिरिडीह के ही अजय सिन्हा उर्फ पोपट, लक्षुआडीह के चरकु मरांडी, पंदना के सुशील कुमार बेसरा, विजयपुर के दीपक हेंब्रम, बामदह कुंडवा टोला के गंगाराम टुडु, करकाटांड़ के अनिल अब्राहम मरांडी, एकदुआरी के उसमान अंसारी, बदवारा के रशिक बासके, सहित अनूप मुर्मू, दिलखुश सिंह, दिनेश किस्कु, केदार हेंब्रम आदि सहित झारखंड बिहार के कुल बीस लोग मारे गए थे।

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