बना शौचालय, नहीं बदली लोगों की सोच
संवाद सहयोगी जमुई नगर परिषद जमुई को पांच साल पूर्व वर्ष 2016 में ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया यानी खुले में शौच से मुक्त। इसके लिए नगर परिषद द्वारा अपने कुल लक्ष्य 5525 के विरुद्ध 5463 शौचालय बनवाकर लाभुकों के खाते में प्रोत्साहन राशि भेज दी गई। शौचालय बनने के बावजूद लोगों की सोच नहीं बदली।
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फोटो- 24 जमुई- 25,26
संवाद सहयोगी, जमुई : नगर परिषद जमुई को पांच साल पूर्व वर्ष 2016 में ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया, यानी खुले में शौच से मुक्त। इसके लिए नगर परिषद द्वारा अपने कुल लक्ष्य 5525 के विरुद्ध 5463 शौचालय बनवाकर लाभुकों के खाते में प्रोत्साहन राशि भेज दी गई। शौचालय बनने के बावजूद लोगों की सोच नहीं बदली।
आज भी शहर के आधा दर्जन से अधिक मुहल्ले जैसे बिहारी, कल्याणपुर, नीमारंग, भछियार, बिलपुर, लगमा, हरनाहा, बांसडीह, उझंडी, खैरा, सतगामा मुहल्ले के लोग अभी भी खुले में शौच जा रहे हैं। इसके पीछे उनकी मानसिकता बताई जाती है। लोगों ने बताया कि शौचालय में जाने की आदत नहीं होने के कारण परेशानी होती है। खुले हवा में शौच की आदत पुरानी है। कईयों ने पानी उपलब्ध नहीं रहने की समस्या बताई। बहरहाल, वजह जो भी हो लेकिन लोगों की सोच पूर्णत: अभी भी नहीं बदल पाई है।
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कागजों पर भी हुआ शौचालय का निर्माण
नगर परिषद द्वारा शहर में बनाए गए व्यक्तिगत शौचालय में 12 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलने के कारण कई प्रभागों में पहले से बने शौचालय के नाम पर पैसे की निकासी कर ली गई, जबकि नियम यह था की नए शौचालय निर्माण के बाद ही दो किश्तों में राशि मिलनी है, लेकिन स्थानीय वार्ड पार्षद सहित नगर परिषद के कर्मी एवं लोगों का व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण कागजों पर भी सैकड़ों शौचालय की प्रोत्साहन राशि की निकासी कर ली गई।
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सामुदायिक शौचालय और यूरिनल की हालत दयनीय
नगर परिषद के 30 प्रभागों में मात्र चार सामुदायिक शौचालय, सात यूरिनल और नौ मोबाइल टायलेट हैं। सामुदायिक शौचालय के बनावट की गुणवत्ता और सुविधा की बात करें तो टेढ़े-मेढ़े शौचालय का निर्माण कर पैसे की निकासी कर ली गई। कहीं तो पानी की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। यूरिनल की स्थिति तो और भी बदतर है, जबकि नौ मोबाइल टायलेट में से एक सदर अस्पताल में पड़ा है तो आठ नगर परिषद के समीप शोभा की वस्तु बनी हुई है।
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मैं भी स्वच्छता प्रहरी, स्वच्छता में होता है देवता का वास
फोटो- 24 जमुई- 1
नगर को स्वच्छ रखना प्रत्येक नगर वासियों का कर्तव्य है। नगर को स्वच्छ, साफ, सुंदर और स्वस्थ बनाने के लिए खुद आगे बढ़कर आना होगा। आम लोगों को इधर उधर गंदगी फैलाने से रोकना होगा। स्वच्छता में देवता का वास होता है। प्रत्येक नगर वासी जागरूक होकर आस-पड़ोस में साफ सफाई की जिम्मेदारी अगर अपने हाथों में लेकर आगे बढ़कर काम करेंगे तो हमारा नगर स्वच्छ रहेगा तथा स्वस्थ रहेगा। शहर का हर व्यक्ति सफाई के प्रति जागरूक होगा, तभी हमारा शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आ पाएगा।
प्रो. आनंद कुमार सिंह, महिसौड़ी