वाहन चालकों की जिदगी पर भारी पड़ रहा तेज रफ्तार

जमुई। परिवहन नियमों की अनदेखी एवं तेज रफ्तार की होड़ सड़कों पर जिदगी और मौत के बीच के फासले को काफी कम कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 07:29 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 07:29 PM (IST)
वाहन चालकों की जिदगी पर भारी पड़ रहा तेज रफ्तार
वाहन चालकों की जिदगी पर भारी पड़ रहा तेज रफ्तार

जमुई। परिवहन नियमों की अनदेखी एवं तेज रफ्तार की होड़ सड़कों पर जिदगी और मौत के बीच के फासले को काफी कम कर दिया है। खासकर युवा वर्ग द्वारा जल्द अपने गंतव्य तक पहुंचने को लेकर तेज रफ्तार में वाहन चलाने की मानसिकता स्वयं अपनी जिदगी को खतरे में डालने के साथ-साथ अन्य के लिए भी मौत का सबब बनते हैं। खासकर सड़क हादसे में दो पहिया वाहन चालकों की भूमिका अधिक रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी रोड एक्सीडेंट इन इंडिया 2019 के अनुसार 25 से 35 आयु वर्ग के युवाओं में से 25 फीसद सड़क हादसे के शिकार हुए हैं। वहीं दूसरी ओर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि 2019 में कुल हादसे का करीब 74 प्रतिशत तेज रफ्तार के कारण हुई है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। तेज रफ्तार के अलावा कई अन्य कारक भी हैं। जिसके कारण सड़क हादसे के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। शराब व अन्य नशे का सेवन, ट्रैफिक नियमों का पालन न करना और परिवहन नियमों को लेकर लापरवाही सड़क दुर्घटना का महत्वपूर्ण कारण है। सड़क दुर्घटना का शिकार ऐसे लोग भी हो रहे हैं जो वाहनों को कम रफ्तार में चलाते हैं लेकिन, दूसरों की तेज रफ्तार अन्य वाहन चालकों के जिदगी पर भी ब्रेक लगा देती है।

----

फिटनेस को लेकर विभाग उदासीन

सड़क हादसे पर नियंत्रण को लेकर परिवहन मंत्रालय भले ही नियमों को सख्त बनाकर दुर्घटना को रोकने का दावा कर रही हो पर आलम यह है कि परिवहन विभाग सड़कों पर वाहनों के अनियंत्रित गति एवं परिवहन नियमों की अनदेखी पर लगाम लगाने में सफल साबित नहीं होती दिख रही है। सड़क हादसे में वाहनों की फिटनेस का सही नहीं होना भी सड़क दुर्घटना के लिए अहम कारण है। वाहन की फिटनेस को लेकर परिवहन विभाग द्वारा कुछ खास पहल नहीं होने के कारण सड़कों पर पुरानी एवं खटारा वाहनों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जो सड़क हादसे के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। खासकर सड़कों पर रफ्तार भर रहे ट्रैक्टर, ट्रेलर एवं जुगाड़ वाहन सड़क हादसे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। परिवहन विभाग द्वारा नियमित रूप से वाहनों में फॉग लाइट, हेड लाइट, ब्रेक लाइट, कलर रीफलेक्टर टेप जैसी आवश्यक जांच नहीं होने के कारण सड़कों पर सड़क हादसे नियंत्रण से परे होते जा रहे हैं। खासकर जिले के एनएच 333 ए पिछले 5 वर्षों से सड़क हादसे को लेकर मुख्य केंद्र साबित होता जा रहा है। जहां कुछ दिनों के अंदर तेज रफ्तार ने दर्जनों लोगों की जान ले ली।

---

हादसे को बढ़ावा दे रहे जुगाड़ वाहन

परिवहन नियमों को ताक पर रखकर सड़कों पर रफ्तार भर रहे ट्रैक्टर, ट्रेलर एवं जुगाड़ वाहन बेलगाम हो रहे सड़क हादसे में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। विडंबना है कि परिवहन विभाग एवं प्रशासन द्वारा इन जुगाड़ वाहनों के फिटनेस जांच को लेकर कभी सख्त जांच अभियान नहीं चलाया जा रहा। जिस कारण जुगाड़ वाहन बेखौफ सड़कों पर फर्राटा भरते हुए सड़क हादसों के गवाह बन रहे हैं। परिवहन नियम के अनुसार बिना निबंधन किसी भी प्रकार के वाहन का संचालन अपराध है। बावजूद जुगाड़ वाहन बिना निबंधन एवं ड्राइविग लाइसेंस के सड़कों पर फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं।

---------

जिले में मौत एवं घायलों का आंकड़ा

वर्ष घायल मौत

2017 102 112

2018 139 129

2019 121 122

2020 49 28

(जून तक)

------------

कोट

सड़क हादसे पर नियंत्रण को लेकर परिवहन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के आलोक में जागरूकता एवं जांच अभियान समय-समय पर चलाया जा रहा है। खासकर वाहनों की फिटनेस को लेकर हर गुरुवार को विशेष जांच अभियान चलाया जाता है एवं वाहनों के फिटनेस के अभाव में विधि सम्मत जुर्माना भी किया जा रहा है।

राजीव रंजन, एमवीआइ, जमुई

chat bot
आपका साथी