क्रांति देवी की क्रांतिकारी सोच ने बदल दी महिलाओं की सोच

जमुई। क्रांति देवी की क्रांति ने स्वदेशी के साथ स्वरोजगार का बिगुल फूंककर महिलाओं में जागृति ला दी। आज पांच दर्जन से भी अधिक महिला चरखा चलाकर स्वावलंबी के साथ स्वदेशी कपड़े के लिए सिमुलतला स्थित ग्रामभारती सर्वोदय आश्रम में सूत काट रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 05:24 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:24 PM (IST)
क्रांति देवी की क्रांतिकारी सोच ने बदल दी महिलाओं की सोच
क्रांति देवी की क्रांतिकारी सोच ने बदल दी महिलाओं की सोच

जमुई। क्रांति देवी की क्रांति ने स्वदेशी के साथ स्वरोजगार का बिगुल फूंककर महिलाओं में जागृति ला दी। आज पांच दर्जन से भी अधिक महिला चरखा चलाकर स्वावलंबी के साथ स्वदेशी कपड़े के लिए सिमुलतला स्थित ग्रामभारती सर्वोदय आश्रम में सूत काट रही हैं। क्रांति की जोश का ही परिणाम है कि ग्रामीण महिलाएं चरखा चलाकर उपार्जन कर किसी के आगे हाथ नहीं फैलती। महिलाओं में यह जागृति लाने का श्रेय 75 वर्षीय वनगांवा ग्राम निवासी स्व. हिरामन पासवान की पत्नी क्रांति देवी को जाता है।

क्रांति बचपन से ही सर्वोदय समाज के कार्यों के प्रति गहरी दिलचस्पी रखती थी। क्रांति का मायके जमुई जिला के खादीग्राम है। इस कारण क्रांति महात्मा गांधी के आदर्शों एवं विचारों से काफी लगाव रखती थी। सिमुलतला के वनगांवा में शादी होने के साथ ही ग्राम भारती सर्वोदय आश्रम से संपर्क बनाकर सर्वोदय नेता स्व. शिवानंद भाई एवं यमुनाबेन पुरस्कार से सम्मानित सरला बहन के सानिध्य में स्वदेशी कार्य से जुड़कर सुदूरवर्ती गांव की महिलाओं में स्वदेश की भावना को जगाया। यौवनकाल से वृद्धावस्था तक क्रांति ने स्वदेश एवं स्वरोजगार के लिए प्रयत्नशील रही। आज से तीस वर्ष पूर्व जब सिमुलतला ग्राम भारती में चरखा से सूत कातने का कार्य प्रारंभ हुआ तो क्रांति ने गांव-गांव घूम-घूम कर महिलाओं को गांधी जी के स्वदेशी अपनाओ के मंत्र को बताकर महिलाओं को सूत कातने के कार्य से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। ग्रामभारती में जब चरखा से सूत कातने का कार्य बंद हो गया तो क्रांति को काफी दुख हुआ था। तब क्रांति ने ग्राम भारती के वर्तमान संचालक कुमार विमलेश से सिमुलतला में चरखा लगाने के लिए जोर दिया। क्रांति के जोश को देख ग्राम भारती में चरखा से सूत कातने का कार्य प्रारंभ करने का निर्णय लिया। क्रांति ने एकबार फिर स्वदेशी एवं स्वरोजगार के लिए महिलाओं को जगाया। आज सिमुलतला ग्राम भारती में बड़े पैमाने पर चरखा से सूत कातने का कार्य हो रहा। इस सूत से धोती, कुर्ता, पैजामा, लूंगी, गमछा, तौलिया, सर्ट, पैंट आदि के कपड़े बनाए जा रहे है।

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