सिजेरियन प्रसव के आंकड़े स्वास्थ्य विभाग को नहीं देते हैं निजी अस्पताल
जमुई। निजी अस्पतालों में कारोबार बन चुके सिजेरियन प्रसव पर अंकुश लगाना असंभव बना है। सरकार ने मॉनीटरिग के लिए नियम बनाए हैं और जिम्मेदारों के हाथ में कार्रवाई के अधिकार भी दिए हैं लेकिन अपने अधिकार को जिम्मेदार भूले बैठे हैं।
जमुई। निजी अस्पतालों में कारोबार बन चुके सिजेरियन प्रसव पर अंकुश लगाना असंभव बना है। सरकार ने मॉनीटरिग के लिए नियम बनाए हैं और जिम्मेदारों के हाथ में कार्रवाई के अधिकार भी दिए हैं, लेकिन अपने अधिकार को जिम्मेदार भूले बैठे हैं।
नतीजतन निजी अस्पताल तो अपने यहां होने वाले सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा तक चिकित्सा विभाग को नहीं भेजते हैं। प्रखंड में आधे दर्जन के करीब छोटे-बड़े निजी अस्पताल ऐसे हैं, जहां प्रसव की सुविधा मौजूद है लेकिन इनमें से कोई भी आंकड़े नहीं सौंपते हैं। इनकी वैद्यता पर गौर करें तो इन निजी अस्पतालों पर कई सवाल खड़े होते हैं। हालांकि, इन अस्पतालों की लापरवाही तो उनके अपने फायदे के लिए दिखती है, लेकिन उन पर सख्ती करने का अधिकार रखने वाला चिकित्सा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
विभाग की मानें तो सरकारी अस्पतालों में प्रसव को लेकर सारी सुविधाएं दी गई है। बहरहाल, निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव को अवैध माना गया है वहीं, उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के साथ अस्पताल को सील कर देने का प्रावधान है, बावजूद स्वास्थ्य महकमा द्वारा ऐसे अस्पतालों को अभी तक कोई नोटिस भी नहीं किया गया है, जिससे सिजेरियन को कारोबार मानने वाले निजी अस्पताल सिस्टम की ढिलाई का फायदा उठाकर जानकारी को छिपाना लाजिमी समझ रहे हैं।
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आंकड़े देने पर लाइसेंस तक निरस्त करने का अधिकार
स्वास्थ्य महकमा ने खुद आदेश जारी किया और खुद ही भूल गए। अस्पतालों पर कार्रवाई तो दूर, कभी उन्हें नोटिस तक जारी नहीं किया गया, जबकि नियमों के अनुसार अस्पतालों पर जुर्माना लगाना और रिपोर्ट सौंपने का आदेश है। यदि उसके बाद भी अस्पताल अपना आंकड़ा चिकित्सा विभाग को नहीं देते हैं तो उनका लाइसेंस तक निरस्त कर सील करने का प्रावधान है। बता दें कि निजी अस्पतालों में हर प्रसूता को पहले यही आश्वासन दिया जाता है कि प्रसव नॉर्मल होगा। बाद में सिजेरियन के मामले सार्वजनिक कर दिए जाते हैं।
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कोट
कोई भी निजी अस्पताल सिजेरियन प्रसव के आंकड़े नहीं सौंपते हैं। सर्वप्रथम निजी अस्पताल वैद्य है या नहीं, उसकी जांच की जाएगी। जांचोपरांत क्लीनिकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. विजेंद्र सत्यार्थी, सिविल सर्जन, जमुई।