किसानों को डीएपी की दरकार, मचा है हाहाकार, काटा बवाल

संवाद सहयोगी जमुई जिले में खरीफ सीजन के बाद रबी फसल की बोआई के वक्त ही रासायनिक उर्वरक की किल्लत पैदा हो गई। डीएपी के लिए यहां हाहाकार मचा है। बाजार में उर्वरक विक्रेताओं द्वारा ऊंची कीमत वसूली जा रही है। लिहाजा बिस्कोमान के काउंटर पर किसानों की लंबी कतार लग रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 06:55 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 06:55 PM (IST)
किसानों को डीएपी की दरकार, मचा है हाहाकार, काटा बवाल
किसानों को डीएपी की दरकार, मचा है हाहाकार, काटा बवाल

फोटो- 30 जमुई- 11,12

-बिस्कोमान भवन में लग रही किसानों की लंबी कतार

- बाजार में हो रही कालाबाजारी, जिला प्रशासन बना है अनजान

- आवंटन का भी है टोंटा

- तीन हजार एमटी के विरुद्ध 1200 एमटी की हुई आपूर्ति

संवाद सहयोगी, जमुई : जिले में खरीफ सीजन के बाद रबी फसल की बोआई के वक्त ही रासायनिक उर्वरक की किल्लत पैदा हो गई। डीएपी के लिए यहां हाहाकार मचा है। बाजार में उर्वरक विक्रेताओं द्वारा ऊंची कीमत वसूली जा रही है। लिहाजा बिस्कोमान के काउंटर पर किसानों की लंबी कतार लग रही है।

आवंटन से अधिक मांग होने के कारण यहां भी हर दिन अफरा-तफरी की स्थिति बनी रहती है। मंगलवार को भी सुबह से बनी वैसी ही स्थिति दोपहर बाद विस्फोटक हो गई। किसान बिस्कोमान के सामने जमुई स्टेशन मार्ग पर आ गए। प्रशासन की सख्ती के कारण आधे घंटे के भीतर किसान पुन: काउंटर पर कतारबद्ध हो गए लेकिन आक्रोश की आग सुलगती रही। बहरहाल जिला प्रशासन किसानों की इस परेशानी से अनजान बना है। हालांकि जिला प्रशासन के भी दायरे सीमित हैं। डिमांड के अनुरूप आवंटन ही नहीं है तो फिर किसानों की मांग कैसे पूरी होगी। बताया जाता है कि जमुई जिले के लिए रबी फसल में 3000 मीट्रिक टन डीएपी की मांग के विरुद्ध 13 सौ मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति हुई है।

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बाजार में 16 से 17 सौ रुपये में मिल रही डीएपी

महुली गांव के किसान उमेश मंडल, नंदकिशोर मंडल, डुंडो के त्रिपुरारी सिंह, खड़सारी के पवन सिंह, सीतारामपुर के शंकर पंडित, अभय पुर के रामप्रवेश महतो तथा पुतेरिया के शिवेश प्रसाद सिंह ने बताया कि बाजार में डीएपी की कीमत 16 से 1700 रुपये तक लिए जा रहे हैं। इसके अलावा उसकी विश्वसनीयता पर भी बड़ा सवाल है। कहा जाता है कि नकली खाद बड़ी मात्रा में जिले में आपूर्ति की कमी को पाटने के लिए मंगाए जा रहे हैं। यही वजह है कि किसान बिस्कोमान के काउंटर से डीएपी खरीदने के लिए कतारबद्ध हैं। यहां 12 सौ रुपए में डीएपी एक बोरी उपलब्ध हो जाती है। इसके साथ ही मिलावटी खाद का भी भय नहीं रहता है। किसानों ने बताया कि सुबह 6:00 बजे से ही कतार में लगे थे लेकिन कतार से इतर लोगों को रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराए जाने से किसानों का गुस्सा उबल पड़ा।

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18 हजार हेक्टेयर में होती है गेहूं की खेती

जिले में कुल 18000 हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है। कृषि विभाग द्वारा मुख्य तौर पर गेहूं की खेती के लिए ही डीएपी का डिमांड किया जाता है। इसके विपरीत व्यापक पैमाने पर जिले में चने की खेती में किसान डीएपी का प्रयोग बोआई के वक्त करते हैं। डीएपी खाद की किल्लत का यह भी एक बड़ा कारण है।

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कोट

नवंबर के कोटा में 1300 टन डीएपी की आपूर्ति जमुई को हुई है। फिलहाल जिले में डीएपी की कोई कमी नहीं है। किसानों को धैर्य रखने की जरूरत है।

अविनाश चंद्र, जिला कृषि पदाधिकारी, जमुई

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