नीली क्रांति की ओर बढ़े कदम, मत्स्य बीज के मामले में आत्मनिर्भर होगा जमुई

जमुई। मत्स्य पालन की अपार संभावनाओं के बीच जिले के लिए अछी खबर है। अब मत्स्य बीज के मामले में पश्चिम बंगाल पर निर्भरता कम हो जाएगी। प्रयोग के तौर पर इस वर्ष 14 लाख मत्स्य बीज तैयार किया गया है। आगामी वर्ष में यह लक्ष्य एक करोड़ का है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:13 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:13 PM (IST)
नीली क्रांति की ओर बढ़े कदम, मत्स्य बीज के मामले में आत्मनिर्भर होगा जमुई
नीली क्रांति की ओर बढ़े कदम, मत्स्य बीज के मामले में आत्मनिर्भर होगा जमुई

जमुई। मत्स्य पालन की अपार संभावनाओं के बीच जिले के लिए अच्छी खबर है। अब मत्स्य बीज के मामले में पश्चिम बंगाल पर निर्भरता कम हो जाएगी। प्रयोग के तौर पर इस वर्ष 14 लाख मत्स्य बीज तैयार किया गया है। आगामी वर्ष में यह लक्ष्य एक करोड़ का है। लक्ष्य को साधने में विभाग सफल हुआ तो आधी आवश्यकता आगामी वर्ष में ही पूरी हो जाएगी। जमुई में दो करोड़ से अधिक मत्स्य बीज की आवश्यकता का अनुमान है। अब तक पश्चिम बंगाल से इसकी आपूर्ति होती रही है।

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मिली तकनीक और अनुदान की संजीवनी

अनुदान के साथ तकनीक की संजीवनी मिली तो जिले में नीली क्रांति की बुनियाद पड़ गई। पहली बार मत्स्य विभाग की पहल पर चार मत्स्य पालक किसान सामने आए। उन्होंने मत्स्य बीज उत्पादन की ओर कदम बढ़ाया। अब पश्चिम बंगाल से आने वाला फिगर लिग साइज बीज स्थानीय स्तर पर ही आधी कीमत पर उपलब्ध होने लगा है। प्रथम वर्ष में यह लाभ बहुत ज्यादा किसानों को तो नहीं मिल सका, लेकिन भविष्य की उम्मीद जग गई है।

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तिलवेरिया डैम में तैयार हो रहा बीज

आश्चर्यजनक लेकिन हकीकत है। डैम के गहरे पानी में मत्स्य बीज का उत्पादन किसान मनोज कुमार मंडल द्वारा किया जा रहा है। यह सब प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से संभव हुआ है। योजना के तहत 15 लाख की योजना पर 40 फीसद का अनुदान मिला और डैम के बीचो बीच केज और हापा लगाकर मत्स्य बीज उत्पादन प्रारंभ किया गया। पहला अनुभव था। बावजूद तीन लाख बीज उत्पादन में सफलता मिली।

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बोधबन तालाब का बदल गया नजारा

मत्स्य पालक सुनील पाल को जिला मत्स्य पदाधिकारी का तकनीकी सहयोग मिला तो पहली बार में सात लाख बीज उत्पादन में सफल हुए। मत्स्य बीज उत्पादन के कारण गंदगी से पटा रहने वाला बोधवन तालाब का दृश्य ही बदल गया है। अब इसके सुंदरीकरण की योजना उप विकास आयुक्त आरिफ अहसन बना रहे हैं। इसके अलावा सोनो प्रखंड के ढोलाजोर गांव में मनीष कुमार तथा सदर प्रखंड अंतर्गत हांसडीह में हिरेंद्र कुमार क्रमश: तीन और एक लाख मत्स्य बीज का उत्पादन कर रहे हैं।

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कोट

बिहारशरीफ, भागलपुर और बांका के हैचरी से स्पान मंगा कर यहां चार जगह मत्स्य बीज उत्पादन की शुरुआत की गई है। इससे जमुई के मत्स्यपलकों को बड़ा लाभ यह होगा कि मत्स्य बीज के मामले में धोखाधड़ी की संभावना समाप्त हो जाएगी। साथ ही बंगाल की तुलना में लगभग आधी कीमत में मिलने से बड़ी आर्थिक बचत भी होगी। आगामी वर्ष में एक करोड़ मत्स्य बीज उत्पादन की योजना है।

कृष्ण कन्हैया, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जमुई

------- मत्स्य पालन एवं मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में यहां अपार संभावनाएं हैं। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर 20 तालाब जीविका को देने का निर्णय लिया गया है। मत्स्य पालन से जीविकोपार्जन का साधन मिलेगा, जबकि जलाशय सुरक्षित रखने में भी कामयाबी मिलेगी, जो जल संचयन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

आरिफ अहसन, उप विकास आयुक्त, जमुई

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