पति की बात मान ली होती तो नहीं जाती जान
जमुई। खैरा थाना क्षेत्र के भोजपुर गांव स्थित अपनी ससुराल से महीने भर पहले मोहनपुर आई रुबनमा ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा कि यह उसका आखिरी सफर है।
जमुई। खैरा थाना क्षेत्र के भोजपुर गांव स्थित अपनी ससुराल से महीने भर पहले मोहनपुर आई रुबनमा ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा कि यह उसका आखिरी सफर है। मां सीता देवी ने उसे छठ तक यहीं रुक जाने के लिए कहा था। उसकी आठ वर्षीय बेटी गुड़िया तथा पांच वर्षीय पुत्र साहेब के साथ वह छठ तक नैहर में ही रुक गई। इधर पति उपेंद्र यादव ने भी मोबाइल पर रूबनमा को छठ तक मोहनपुर में ही रह जाने को कहा था। उपेंद्र पटना में रहकर मजदूरी करता है। वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ छठ पर्व में मोहनपुर में ही था। छठ के बाद गुरुवार को उपेंद्र ने पत्नी से भोजपुर चलने को कहा लेकिन सास बोली अभी कुछ दिन यही रहने दीजिए। पत्नी और बच्चों को मोहनपुर में ही छोड़कर उपेंद्र गुरुवार शाम भोजपुर चला गया था। सुबह होते ही उसे पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दिए जाने की खबर मिली और वह रोते पीटते सोनो थाने पहुंचा। उपेंद्र रो -रोकर यही कह रहा था कि काश उसकी पत्नी गुरुवार को उसके साथ भोजपुर चली गई होती तो उसकी जान नहीं जाती।