सिकंदरा में दलीय पर भारी निर्दलीय

जमुई। सिकंदरा विधानसभा सुरक्षित सीट काफी दिलचस्प मोड़ लेता जा रहा है। जैसे-जैसे मतदान की तिथि निकट आते जा रही है वैसे-वैसे चुनावी परिदृश्य बदलता नजर आ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2020 05:53 PM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2020 05:53 PM (IST)
सिकंदरा में दलीय पर भारी निर्दलीय
सिकंदरा में दलीय पर भारी निर्दलीय

जमुई। सिकंदरा विधानसभा सुरक्षित सीट काफी दिलचस्प मोड़ लेता जा रहा है। जैसे-जैसे मतदान की तिथि निकट आते जा रही है, वैसे-वैसे चुनावी परिदृश्य बदलता नजर आ रहा है। कुछ दिन पहले तक लग रहा था मुकाबला एनडीए और महागठबंधन में होगा, लेकिन ग्रामीण रिपोर्ट बताता है कि दलीय पर निर्दलीय भारी पड़ते जा रहे हैं। महागठबंधन से निवर्तमान विधायक सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी तो एनडीए से बाहरी चेहरे के रूप में हम पार्टी के प्रफुल्ल मांझी मैदान में हैं। दरअसल, महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी सुधीर कुमार एमवाई समीकरण को फैक्टर मानकर चुनावी वैतरणी दूसरी बार पार करने की जुगत में हैं, लेकिन इस बार चुनावी गणित की तस्वीर कुछ उलट है। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पूर्व प्रत्याशी रहे सिधु पासवान, पूर्व मंत्री रामेश्वर पासवान एवं सुभाषचंद्र बोस उर्फ सुभाष पासवान तथा पूर्व जदयू जिलाध्यक्ष शिवशंकर चौधरी ने चुनावी मैदान में आकर बेचैनी बढ़ा दी है। जगह-जगह लोगों के सजे चौपाल से बातें भी छनकर आने लगी है कि दलीय पर निर्दलीय अवश्य भारी पड़ेगा।

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राजग के प्रफुल्ल मांझी बाहरी होने की झेल सकते हैं परेशानी

राजग से इस बार प्रत्याशी भी नए हैं और सिकंदरा के लिए पार्टी भी अनजान है। इलाके में इनकी पकड़ कहीं नहीं दिख रही है। राजग खेमे के दिग्गज नेतागण निर्दलीय के बेहतर उम्मीदवार के साथ घूमने व कैम्पेन करने से राजग उम्मीदवार को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, राजग के परम्परागत सीट छिन जाने से कार्यकर्ताओं के साथ अन्य मतदाता काफी निराश हैं।

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पड़ सकता है भारी

दोनों गठबंधन अर्थात एनडीए एवं महागठबंधन की नाव को डुबोने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार जनता के बीच घूम रहे हैं। मतदान की तारीख 28 अक्टूबर निर्धारित है। यह तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, उम्मीद है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच निर्दलीय के तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाएं बढ़ सकती है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। यहां का परिणाम काफी चौंकाने वाला हो सकता है। वैसे महागठबंधन के उम्मीदवार इसे गंभीरता से ले रहे हैं।

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