सरकारी सुविधा से वंचित है बिराजीडीह

जमुई। विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों द्वारा प्रचार-प्रसार तेज कर दिया गया है। प्रत्याशी मतदाताओं को विकास का सब्जबाग दिखा वोट मांग रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Oct 2020 06:37 PM (IST) Updated:Sun, 11 Oct 2020 06:37 PM (IST)
सरकारी सुविधा से वंचित है बिराजीडीह
सरकारी सुविधा से वंचित है बिराजीडीह

जमुई। विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों द्वारा प्रचार-प्रसार तेज कर दिया गया है। प्रत्याशी मतदाताओं को विकास का सब्जबाग दिखा वोट मांग रहे हैं। ऐसे में विकास का पैमाना माने जाने वाली सड़क, हर घर नल का जल, गली-नाली, सरकारी विद्यालय, आंगनबाड़ी भवन सहित अन्य सुविधाओं से महरूम है एक गांव। यह गांव है चकाई प्रखंड मुख्यालय से 25 किमी दूर फरियताडीह पंचायत का बिराजीडीह गांव।

गांव के लोगों के लिए सड़क आजादी के सात दशक बाद भी सपना बना हुआ है। सात सौ की आबादी वाले इस गांव में लोग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से अनजान है। जमुई जिला में इस तरह का सुविधा से वंचित गांव संभवत: कम ही होगा। मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते यहां के ग्रामीण विकास की बाट जोह रहे हैं। ग्रामीण संजय यादव, केदार यादव, गुलाब यादव, नुनेश्वर यादव, कारू रजक, मु. उसमान, प्रेम रजक, शहीद अंसारी, फिरोज खान बताते हैं कि आवागमन के लिए सड़क नहीं है। दो किमी चलने के बाद नकटा के समीप मुख्य सड़क पहुंचते हैं। 86 वर्षीय नुनेश्वर यादव कहते हैं कि बचपन से जवानी और अब बुढ़ापा देख लिया, लेकिन गांव में सड़क बनते नहीं देख पाया। जनप्रतिनिधियों को कोसते हुए कहते हैं कि अब बहुत हो चुका। इस बार चुनाव के दौरान वोट मांगने आने वाले नेताओं से जवाब मांगा जाएगा। गांव में सड़क बनवाने के लिए नेताओं के यहां चक्कर लगाते थक चुके संजय यादव कहते हैं कि सड़क के बिना कोई गांव आना नहीं चाहता। बरसात के मौसम में जब बारिश होती है तो गांव से निकल नहीं पाते या फिर प्रवेश नहीं कर पाते। ऐसे में जब कोई बीमार हो जाता है तो उसे खाट और लाठ के सहारे गांव से बाहर लाकर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। गांव में एक भी सरकारी भवन नहीं है, जहां ग्रामीण बैठकर अपनी समस्या आदि का निवारण कर सके। स्कूल के अभाव में नौनिहाल खेतों के टेढ़े-मेढ़े रास्ते को पार कर दो किमी दूर मोहबदिया स्कूल जाते हैं। गांव में आंगनबाड़ी केन्द्र है, लेकिन भवन के अभाव में सेविका को क्षतिग्रस्त भवन में संचालित करना पड़ता है। नल-जल का लाभ नहीं मिला है। गांव की गंदी नालियां और टूटी गलियां सात निश्चय से वंचित गांव की कहानी कह रही हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों की उपेक्षा का दर्द झेल रहा है यह गांव। यही कारण है कि आज भी लोगों को राशन उठाने के लिए सात किमी दूर कटियामो जाना पड़ता है।

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