53 साल में 11 फीसद मतदान प्रतिशत में हुई वृद्धि

जमुई। लोकतंत्र में आम लोगों की सहभागिता एवं मतदान के प्रति लोगों की जागरुकता की अहमियत को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। किसी भी लोकतंत्र के लिए वहां के मतदाता का सक्रिय होना प्रत्यक्ष मतदान के लिए आवश्यक है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 05:29 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:29 PM (IST)
53 साल में 11 फीसद मतदान प्रतिशत में हुई वृद्धि
53 साल में 11 फीसद मतदान प्रतिशत में हुई वृद्धि

जमुई। लोकतंत्र में आम लोगों की सहभागिता एवं मतदान के प्रति लोगों की जागरुकता की अहमियत को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। किसी भी लोकतंत्र के लिए वहां के मतदाता का सक्रिय होना प्रत्यक्ष मतदान के लिए आवश्यक है।

स्वास्थ एवं मजबूत लोकतंत्र के निर्माण के लिए अधिकतम मतदान लोकतंत्र के निर्माण में जनभागीदारी का महज अवसर ही नहीं है बल्कि किसी भी लोकतांत्रिक देश के विकास के साथ-साथ दशा एवं दिशा तय करने में आम आदमी के योगदान का प्रतीक भी है। मतदान करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और कर्तव्य भी है। विडम्बना है हमारे देश की कि आजादी के कई दशक बाद भी नागरिक लोकतंत्र की मजबूती को लेकर सजग नहीं है। आलम यह है कि सरकार एवं निर्वाचन आयोग की तमाम कोशिशों के बावजूद मतदान के प्रति लोगों की सहभागिता बढ़ाने में सफल नहीं हो सकी जितना समय के साथ होना चाहिए था। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की तैयारियां जोरों पर है। जमुई विधानसभा क्षेत्र में मतदान के प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को मतदान होना निर्धारित है। इसके लिए जमुई जिले के 4 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 52 प्रत्याशी अपने चुनावी वादों के साथ चुनाव मैदान में डटे हैं। बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों का अपना इतिहास एवं राजनीतिक परिस्थितियां अलग लग रही है। जमुई विधानसभा क्षेत्र में 63 वर्षों में अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं एवं 28 अक्टूबर को 18वां विधानसभा चुनाव की तिथि निर्धारित है।

जमुई विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत देखा जाए तो पहला विधानसभा चुनाव 1957 में मतदाताओं ने महज 45.2 प्रतिशत मताधिकार का प्रयोग किया एवं विधानसभा चुनाव 2015 में यह आंकड़ा महज 56.5 प्रतिशत तक पहुंच सका जो 53 वर्षों में मात्र 11 फीसद है।

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मतदान प्रतिशत में उतार-चढ़ाव

जमुई जिले के 4 विधानसभा क्षेत्रों में समय एवं परिस्थिति के अनुसार मतदान प्रतिशत में उतार-चढ़ाव देखा गया है। एक आंकड़े के अनुसार जमुई विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम मतदान प्रतिशत 2005 अक्टूबर के मतदान में देखा गया। जहां मतदाताओं ने 43.2 प्रतिशत मताधिकार का प्रयोग किया एवं सर्वाधिक मतदान प्रतिशत मात्र एक बार 1980 के चुनाव में 68.6 प्रतिशत देखा गया। इसी तरह सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम मतदान 2005 अक्टूबर के चुनाव में 34.3 प्रतिशत एवं सर्वाधिक मतदान 1980 में 68.1 प्रतिशत देखा गया। झाझा विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम मतदान में 1962 के चुनाव में 31.20 प्रतिशत एवं सर्वाधिक मतदान 1990 में 68.36 रहा। चकाई विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम मतदान 1962 में 31.20 प्रतिशत एवं सर्वाधिक मतदान 1990 के विधानसभा चुनाव में 68.36 दर्ज किया गया।

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मतदान में बढ़ रही आधी आबादी की भूमिका

मतदान प्रतिशत बढ़ाने में आधी आबादी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ों से यह साबित होता है कि इधर एक दशक से मताधिकार का प्रयोग करने में आधी आबादी पुरुषों से आगे रही है। जमुई विधानसभा क्षेत्र के पिछले दो विधानसभा चुनाव में आधी आबादी ने पुरुषों से ज्यादा मताधिकार का प्रयोग किया है। आंकड़े के अनुसार 2015 में जहां पुरुष मतदाताओं ने 52.9 प्रतिशत मताधिकार का प्रयोग किया वहीं आधी आबादी ने 54.1 प्रतिशत मतदान कर पुरुषों से आगे रही। 2015 विधानसभा चुनाव में पुरुष मतदाताओं ने 54.1 प्रतिशत मतदान किया वहीं महिला मतदाताओं ने अधिकतम 58.8 प्रतिशत मताधिकार का प्रयोग किया।

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