जल विज्ञान परियोजना के तहत शुरू हुआ सर्वे
जमुई। देश में जल्द सुगमता पूर्वक जल संसाधन मूल्यांकन प्रबंधन जलाशय संचालन सूखा प्रबंधन की जानकारी उपलब्ध हो जाएगी।
जमुई। देश में जल्द सुगमता पूर्वक जल संसाधन मूल्यांकन, प्रबंधन, जलाशय संचालन, सूखा प्रबंधन की जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इसके लिए देश के सभी राज्यों में भारतीय सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार के राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत सर्वे कार्य कर रही है।
जमुई जिले में डेटा बेस के लिए जमुई शहर और सिमुलतला स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय के पास मास्टर प्वाइंट बनाया गया है। मास्टर प्वाइंट के कारण जमुई जिले का भोगौलिक सूचना प्रणाली, डेटा बेस डिजिटल ऊंचाई भी इससे ज्ञात होगी। सर्वे अधिकारी ग्राउंड कंट्रोल वर्क जीपीएस यंत्र द्वारा बीते एक सप्ताह से इस विषय का अध्ययन कर रहे हैं। सर्वे अधिकारी रविकांत कुमार के नेतृत्व में सहायक सर्वे अधिकारी एचएन रावत, राम प्रवेश, राम यादव के साथ कार्य को तेज गति से पूरा करने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य जल संसाधन सूचना की सीमा, गुणवत्ता और सतही जानकारी में सुधार लाना। बाढ़ के लिए निर्णायक सहायता प्रणाली तथा बेसिन स्तर स्त्रोत आकलन करना है। बाढ़ के आशंका वाले क्षेत्रों के स्थानीय उच्च रिजोलेशन सर्वेक्षण एवं मानचित्र प्रबंधन है। सर्वे से भारत में लक्षित जल संसाधन पेशेवरों और प्रबंध संस्थानों की क्षमता को मजबूत बनाएगा। इसके अलावा भी विभिन्न प्रकार के भू-स्थानीय डेटासेट भी बनाएगी। सर्वे के पैमाना के संदर्भ में कुमार ने बताया कि नदी के दोनों किनारों पर पांच किलोमीटर और जीआइएस 1:25 के आधार पर एसओआइ टोपो शिड्स तैयार डेटा है। उन्होंने बताया कि समय के साथ सरकारी, निजी क्षेत्रों और शैक्षणिक तथा अनुसंधान संस्थानों में स्वाभाविक रूप से व्यापक डेटा-संचालित विकास होगा। जानकारी दिया की सफलता पूर्वक यह सर्वे कार्य लागू होने से देश के जल क्षेत्र को काफी हद तक व्यक्तिगत निर्णय पर निर्भर एक पुरानी अनुभव आधारित प्रणाली से अनुकूलित, पारदर्शी प्रणाली में बदलने की क्षमता का विकास होगा। सर्वे से सभी क्षेत्रों में किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले ही उसके प्रभावों का समग्र रूप से आकलन करना संभव होगा। सर्वे कार्य सर्व प्रथम गंगा, गंडक, गोदावरी, नर्मदा, सतलुज, कोसी नदी के आसपास के क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। सर्वे के उपरांत एक ओ टीम आकर वेरीफिकेशन करेगी। इस व्यस्था का लाभ केंद्रीय कि क्षेत्र की योजना में शत-प्रतिशित अनुदान प्राप्त होगा। सर्वे कार्य के लिए 3,640 करोड़ बजट अनुमानित है। वर्ष 2016 से संचालित यह सर्वे कार्य 8 वर्ष में यानी 2024 में पूरे देश में सर्वे कार्य को पूर्ण कर लेगा। इस कार्य में मुख्य एजेंसी के रूप में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय शामिल है।