प्रमाण पत्रों के सत्यापन में लापरवाही पर नपेंगी सीडीपीओ

जमुई। प्रमाण पत्रों के सत्यापन को लेकर सीडीपीओ आफिस की मिलीभगत व लापरवाही की बाबत मिल रही लगातार शिकायत पर समाज कल्याण विभाग ने कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में सत्यापन के नाम पर तीन-तीन वर्षों तक बिना मानदेय आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका से काम लेने के मामले सामने आने के बाद विभागीय कवायद में इसके लिए संबंधित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को मुख्य जिम्मेदार बनाया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:34 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 06:34 PM (IST)
प्रमाण पत्रों के सत्यापन में लापरवाही पर नपेंगी सीडीपीओ
प्रमाण पत्रों के सत्यापन में लापरवाही पर नपेंगी सीडीपीओ

जमुई। प्रमाण पत्रों के सत्यापन को लेकर सीडीपीओ आफिस की मिलीभगत व लापरवाही की बाबत मिल रही लगातार शिकायत पर समाज कल्याण विभाग ने कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में सत्यापन के नाम पर तीन-तीन वर्षों तक बिना मानदेय आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका से काम लेने के मामले सामने आने के बाद विभागीय कवायद में इसके लिए संबंधित बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को मुख्य जिम्मेदार बनाया है।

मंगलवार को आइसीडीएस निदेशालय से जारी पत्र के अनुसार वर्तमान में आंगनबाड़ी सेविका सहायिका चयन मार्गदर्शिका-2019 में संशोधन करते हुए सेविका सहायिका के चयन के 60 दिनों के अंदर हर हाल में चयनित कर्मी का प्रमाण पत्र सत्यापन कराना और उसके बाद ही मानदेय चालू करने का आदेश जारी किया गया है। 60 दिनों के बाद भी यदि अनुचित या अपर्याप्त कारणों से प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं हो पाया तो इसके लिए संबंधित परियोजना की सीडीपीओ को दोषी माना जाएगा। इसके लिए उन्हें 60 दिनों के बाद सत्यापन संभव न हो पाने के कारणों एवं अपने प्रयासों का जिक्र करते हुए आदेश पारित करना अनिवार्य होगा।

सूत्रों के अनुसार विभाग द्वारा इस कवायद के तहत उन तत्वों पर भी लगाम लगाने की कोशिश की गई है जो पहले तो फर्•ाी प्रमाण पत्र पर चयनित हो जाते हैं, फिर आफिस को मेल में रखकर नौकरी करते रहते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि चयन के 7-8 वर्षों के बाद हुए प्रमाण पत्रों के सत्यापन में चयनित सेविका सहायिका का प्रमाण पत्र फर्•ाी पाया गया। इसके लिए कई मामलों में विभाग को कोर्ट से फटकार भी झेलनी पड़ी है। निदेशक आइसीडीएस बिहार के हस्ताक्षर से निर्गत इस पत्र के साथ चयनित सेविका-सहायिका के योगदान से पूर्व भरे जाने वाले शपथपत्र का मानक प्रारूप भी जारी किया गया है। कुल मिलाकर एक साल के अंदर जिस सेविका सहायिका का प्रमाण पत्र सत्यापित नहीं हो पाता है तो वे स्वत: चयन मुक्त हो जाएंगी। उनका भविष्य में कोई दावा विचारणीय नहीं माना जाएगा। इस संशोधन को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

chat bot
आपका साथी