होता रहा है चिनवेरिया में नजदीकी मुकाबला

जमुई। चिनवेरिया पंचायत में पंचायत समिति सदस्य पद के लिए पहले भी नजदीकी मुकाबला होता रहा है। बताया जाता है कि पहली बार 2011 में रमेश मुर्मू ने श्यामसुंदर मंडल को एक वोट से शिकस्त दी थी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 06:33 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 06:33 PM (IST)
होता रहा है चिनवेरिया में नजदीकी मुकाबला
होता रहा है चिनवेरिया में नजदीकी मुकाबला

जमुई। चिनवेरिया पंचायत में पंचायत समिति सदस्य पद के लिए पहले भी नजदीकी मुकाबला होता रहा है। बताया जाता है कि पहली बार 2011 में रमेश मुर्मू ने श्यामसुंदर मंडल को एक वोट से शिकस्त दी थी। इसके बाद 2016 के पंचायत चुनाव में भी नारायण मांझी आभाष कुमार को एक वोट से परास्त कर पंचायत समिति सदस्य चुने गए थे। इस दफे भी अरुण कुमार दास महज दो वोट से चुनाव जीतने में कामयाब हुए। उन्होंने यदुनंदन पासवान को हराया।

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साला ने बहनोई को किया परास्त

पिडरौन ग्राम पंचायत में निर्वाचित मुखिया उपेंद्र यादव तथा निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार यादव उर्फ टुन्नी यादव के बीच आपस में साला बहनोई का रिश्ता है। टुन्नी उपेंद्र के बहनोई हैं। हालांकि साले की हार सुनिश्चित करने में बहनोई ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। कहा जाता है कि निवर्तमान मुखिया सहित मुखिया पद के अन्य प्रत्याशियों ने भी उपेंद्र के खिलाफ गोलबंद होकर अघोषित तौर पर महेश कुमार साह का समर्थन किया था। उक्त प्रत्याशियों को मिले मत भी इन बातों की पुष्टि कर रही है। यहां बता दें कि मुखिया पद के दो प्रमुख उम्मीदवार निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार को 32 तथा सजन साह को महज 71 मत मिले। उपेंद्र की जीत कांटे के मुकाबले में 41 मतों के अंतर से हुई है।

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चंदे से 10 साल का गढ़ हुआ ध्वस्त

जमुई : दिग्घी पंचायत में 10 वर्षों से मुखिया पद पर काबिज सुनील यादव के परिवार को साधारण सा युवक ने शिकस्त दे दिया। कहा जाता है कि 10 साल के गढ़ को ध्वस्त करने में चंदे की राशि की अहम भूमिका है। पंचायत के लोगों के साथ-साथ मुखिया पुष्पा देवी के पति प्रदीप यादव ने बताया कि उसके तन पर जो वस्त्र है वह भी पंचायत की जनता के सहयोग राशि से सिली हुई है। यह जीत उसकी नहीं बल्कि पंचायत की जनता की है। चुनावी लड़ाई भी पंचायत की जनता ही लड़ रही थी। चंदे की राशि से तो खिलार पंचायत में भी निवर्तमान मुखिया रेणु देवी की हार सुनिश्चित हुई। वहां मुख्य मुकाबला बलराम सिंह, राज कुमार यादव और सनी कुमार के बीच हुआ। निवर्तमान तो 691 मत लेकर चौथे स्थान पर रही। बलराम सिंह 1331 मत हासिल कर 54 वोट से मुखिया पद पर निर्वाचित हुए। बलराम सिंह को भी चुनाव में खर्च के लिए बड़े पैमाने पर लोगों ने चंदा देकर सहयोग किया। यहां बताना लाजिमी है कि 2006 में सुनील यादव के पिता नागेश्वर यादव को बलराम सिंह ने हराया था। 2011 के चुनाव में पुत्र सुनील यादव ने पिता की हार का बदला चुकता कर लिया। महिला के लिए सीट आरक्षित होने के बाद 2016 में उनकी पत्नी अंजू देवी चुनाव जीती थी।

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