बेहतर तकनीक अपना कर ली जा सकती है अच्छी उपज

जमुई। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र जमुई द्वारा मंगलवार को सदर प्रखंड के कुंदरी गांव में प्रक्षेत्र भ्रमण एवं प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 05:59 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 05:59 PM (IST)
बेहतर तकनीक अपना कर ली जा सकती है अच्छी उपज
बेहतर तकनीक अपना कर ली जा सकती है अच्छी उपज

जमुई। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र जमुई द्वारा मंगलवार को सदर प्रखंड के कुंदरी गांव में प्रक्षेत्र भ्रमण एवं प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञानी डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि प्रक्षेत्र दिवस के आयोजन का उद्देश्य किसानों और विज्ञानियों के बीच धरातल पर संवाद स्थापित करना होता है ताकि तकनीक की अच्छाइयों और बुराइयों को जान सकें।

उन्होंने कुंदरी गांव में बेड प्लांटिग विधि से तैयार गेहूं एवं सरसों की फसल दिखाया। इसके साथ ही जीरो टिलेज विधि से रोपित गेहूं, चना एवं मसूर की खेती से किसान अवगत हुए। उन्होंने बताया कि बेड प्लांटिग विधि से गेहूं की फसल में बीज एवं खाद की 25 फीसद तक की बचत होती है, जबकि पानी की बचत 40 फीसद से अधिक की जा सकती है। इसमें खरपतवार भी कम ही निकलते हैं एवं उपज अपेक्षाकृत अधिक होती है। फसल गिरने का भी डर कम होता है। जलवायु परिवर्तन के व्यावहारिक पहलू से अवगत कराते हुए कहा कि मार्च के पहले हफ्ते में अप्रैल जैसी गर्मी पड़ रही है। यदि ऐसा ही क्रम जारी रहा तो गेहूं की फसल तैयार होने से पहले सूख जाएगी। लिहाजा उपज में कमी आना स्वाभाविक है। कृषि विज्ञानी ने इस वर्ष तापमान में उतार-चढ़ाव तथा विलंब से बोआई की गई गेहूं की फसल पर प्रभाव ज्यादा पड़ने की संभावना जताते हुए खेतों में नमी बनाए रखने पर जोर दिया। वरीय विज्ञानी एवं कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत जो भी प्रदर्शन किया गया है, वहां ज्यादा से ज्यादा किसानों को भ्रमण कराना है। जिससे किसान उक्त तकनीक को खेतों पर देखकर उसकी जानकारी हासिल कर सकें और तकनीक आधारित खेती कर सकें। इस अवसर पर किसान शंभू सिंह, पंकज सिंह, प्रिस कुमार, विनय सिंह, मोती यादव, उमेश महतो सहित तकरीबन डेढ़ सौ से ज्यादा किसान मौजूद थे। किसान प्रक्षेत्र भ्रमण में जिले के विभिन्न क्षेत्रों के किसान शामिल थे।

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