वाणावर में बाबा सिद्धनाथ व बनवरिया में योगेश्वर नाथ मंदिर में लगता है श्रद्धालुओं का तांता

जहानाबाद। महाशिवरात्रि में यूं तो जिले के सभी शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Mar 2021 11:46 PM (IST) Updated:Tue, 09 Mar 2021 11:46 PM (IST)
वाणावर में बाबा सिद्धनाथ व बनवरिया में योगेश्वर नाथ मंदिर में लगता है श्रद्धालुओं का तांता
वाणावर में बाबा सिद्धनाथ व बनवरिया में योगेश्वर नाथ मंदिर में लगता है श्रद्धालुओं का तांता

जहानाबाद। महाशिवरात्रि में यूं तो जिले के सभी शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगती है। लेकिन मखदुमपुर प्रखंड क्षेत्र के वाणावर पहाड़ी की चोटी पर अवस्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ तथा हुलासंगज प्रखंड क्षेत्र के नागार्जुन पहाड़ी श्रृंखला पर अवस्थित बाबा योगेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार बाबा सिद्धेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।बाणावर पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई भक्ति से ओत-प्रोत होकर श्रद्धालु आसानी से पूरा कर लेते हैं।बाणावर की वादियां हर-हर महादेव की जय घोष से गुजंवान रहता है। इस बार भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को आएंगे।इसे लेकर जिला प्रशासन के साथ-साथ मंदिर समिति के लोग तैयारी में जुट गए हैं।इधर हुलासगंज के बनवरिया में नागार्जुनी पहाड़ी श्रृंखला पर स्थित बाबा योगेश्वर नाथ मंदिर में धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाने की तैयारी चल रही है। योगेश्वर नाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर को भव्य रूप में सजाया जाएगा।पहाड़ि की चोटी पर पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जा रही है।योगेश्वर नाथ मंदिर का महत्ता काफी प्राचीन रहा है।माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बाणासुर के द्वारा की गई थी। अंडकोशीय शिवलिग के अद्वितीय स्वरूप यहां देखने को मिलता है। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। मनोरम पहाड़ी श्रृंखला में अवस्थित योगेश्वर नाथ मंदिर का स्वरूप अद्वितीय माना जाता है।

संवाद सहयोगी,कलेर, अरवल

धार्मिक एवं ऐतिहासिक मधुश्रवा मंदिर पर आगामी 11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि को लेकर लोगों में गजब का उल्लास व उत्साह का माहौल देखा जा रहा है। महाशिवरात्रि पर्व पर यहां विशेष धूम रहती है।स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूसरे जिले से भी बडी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। इस धाम के बारे में मान्यता है कि इस स्थल पर अवस्थित बाबा मधेश्वर नाथ की पूजा भगवान श्रीराम द्वारा गया में पिण्ड दान करने जाने के क्रम में की गई थी। यहां मलमास में भी मेला लगता है।मंदिर के महंत अखिलेश्वर भारती ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। इस वर्ष भव्य आयोजन को लेकर मंदिर समिति के लोगों के साथ-साथ स्थानीय लोग पूरे उल्लास से जुटे हुए हैं।

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