पुलिस के भय से सरता के लोग गांव छोड़कर भागे, महिलाएं व बच्चे ही बचे

जहानाबाद जिला मुख्यालय से तकरीबन 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परसबिगहा थाना क्षेत्र का सरता गांव में शनिवार की शाम से ही सन्नाटा पसरा हुआ है। कई लोग जहां पुलिसिया कार्रवाई के डर से घटना के बाद से ही घर छोड़कर फरार हो गए।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 11:36 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 11:36 PM (IST)
पुलिस के भय से सरता के लोग गांव छोड़कर भागे, महिलाएं व बच्चे ही बचे
पुलिस के भय से सरता के लोग गांव छोड़कर भागे, महिलाएं व बच्चे ही बचे

जहानाबाद: जिला मुख्यालय से तकरीबन 11 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित परसबिगहा थाना क्षेत्र का सरता गांव में शनिवार की शाम से ही सन्नाटा पसरा हुआ है। कई लोग जहां पुलिसिया कार्रवाई के डर से घटना के बाद से ही घर छोड़कर फरार हो गए हैं। वहीं जो लोग गांव में हैं भी तो अपने घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं।

आम दिनों में जहां देर शाम तक गांव की गलियों में लोग बैठे रहते थे, कई मुद्दों पर चर्चा परिचर्चा होता रहता था। लेकिन शनिवार को सूर्य अस्त होने से पहले हीं ग्रामीणों के घर के दरवाजे अंदर से बंद हो गए। गलियां पूरी तरह सन्नाटा नजर आ रही थी। इस सन्नाटे में अगर चहलकदमी की आहट सुनाई पड़ रही थी तो वह था पुलिस कर्मियों का आने-जाने का सिलसिला। दरअसल पूरी रात गांव में पुलिस कर्मियों का आना-जाना लगा रहा। कई लोगों के घरों के दरवाजे खुला कर पूछताछ भी की गई। ग्रामीणों के अनुसार कुछ लोगों को पुलिस हिरासत में भी ले कर गई है। पुलिस की आहट होते ही ग्रामीण सिहर जा रहे हैं। उन लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं पुलिस उसे भी उठाकर अपने साथ नहीं ले कर चली जाए।

दरअसल शनिवार को इस गांव निवासी गोविद मांझी के औरंगाबाद जेल में मौत के बाद लोगों का आक्रोश इस कदर भड़क उठा था कि सड़क जाम के दौरान जमकर ईंट पत्थर चले। जिसमें मची भगदड़ में एक महिला हवलदार की मौत वाहन की चपेट में आ जाने से हो गई थी। इस लेकर पुलिसिया कार्रवाई तेज हो गई है। पुलिस वीडियो फुटेज के आधार पर सड़क जाम में शामिल लोगों की पहचान कर रही है। इससे गांव के बड़ी संख्या में लोग कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। परिणामस्वरूप पूरा गांव डरा सहमा है। एक बार फिर चर्चा में आया सरता गांव:

तकरीबन एक दशक पहले सरता गांव कुछ घटनाओं को लेकर चर्चा में रहता था। अब गांव में शांति रहती है। कभी-कभार ही गांव की ओर पुलिस रुख करती थी। इस गांव में कई जाति के लोग आपस में सामंजस्य स्थापित कर शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं। शनिवार की घटना फिर इस गांव को चर्चा में ला दिया है। नेहालपुर के पास उपद्रव में गांव के सभी लोगों की संलिप्तता नहीं थी। कई लोगों को तो घटना के काफी देर बाद इसकी जानकारी मिल पाई थी। जो लोग सड़क जाम करने में सीधे तौर पर संलिप्त थे वे लोग पुलिसिया कार्रवाई के भय से पहले ही भाग खड़े हुए थे। गांव के बधार में नहीं हो रही धान रोपनी:

इन दिनों धान रोपनी का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। शनिवार को भी जहां कुछ लोग गांव के युवक की मौत पर सड़क जाम का समर्थन कर रहे थे। वहीं अधिकतर ग्रामीण खेती गृहस्थी में जुटे हुए थे। बधार में धान के बिचड़े उखाड़ने से लेकर रोपनी तक के कार्य हो रहे थे। रविवार को गांव के साथ-साथ बधार में भी सन्नाटा पसरा हुआ था। कई खेत धान रोपनी के लिए तैयार नजर आ रहे थे लेकिन वहां कोई कार्य नहीं हो रहा था। दरअसल इस घटना के बाद खेती किसानी से जुड़े ग्रामीणों में भी इस कदर भय माहौल कायम हो गया है की वे लोग अपना कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं।

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