महिलाओं की सहभागिता के बगैर नहीं होगा गांव का विकास
जहानाबाद। पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। अलग-अलग पदों के लिए चुनावी बिसात बिछाने में प्रत्याशी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। हर प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता।
जहानाबाद। पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। अलग-अलग पदों के लिए चुनावी बिसात बिछाने में प्रत्याशी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। हर प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता। प्रखंड क्षेत्र में चौथे चरण में मतदान होना है। लिहाजा इस माह के 24 तारीख से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी संभावित प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रों में जनता को प्रभावित करने के लिए हर एक हथकंडा अपना रहे हैं। पंचायती राज व्यवस्था में 50 फ़ीसद महिलाओं के लिए पदों को आरक्षित करके राज्य ने जहां पूरे देश में एक मिसाल कायम किया है। देखा जाए तो जमीनी स्तर पर महिला आरक्षण से अभी भी महिलाओं के जनजीवन पर कोई खास असर नहीं दिखा है। आधी आबादी के रूप में जाने जानेवाली महिलाओं की स्थिति एक वोटर के रूप में अभी भी हाशिए पर ही है। आ•ा भी महिलाओं के मतों का निर्णय उनके घरों के पुरूष ही करते हैं ऐसे में महिला सशक्तिकरण की बात तब तक बेईमानी सिद्ध होगी जब तक महिलाएं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव और राजनीति सक्रियता खुलकर सामने नहीं दिखा पाएंगी।
पंचायत चुनाव के मद्देनजर संभावित प्रत्याशी गांव-गांव,डगर-डगर प्रचार के लिए मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन यहां भी घर के बाहर पुरुष मतदाता महिलाओं के मतों के भी ठेकेदार बन कर तैयार है। लिहाजा महिलाओं की जरूरत क्या है? उनकी नजरों में कैसा प्रतिनिधि होना चाहिए यह बात जानने वाला कोई नहीं है। इस संबंध में दावथु पंचायत की महिलाओं ने अपनी बात खुलकर रखी। सुनें आधी आबादी की
गांव के लिए विकास योजना बनाते समय आधी आबादी यानी महिलाओं से भी इस विषय में चर्चा होनी चाहिए। महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर समेकित विकास की योजना बने तो गांव का संपूर्ण विकास हो पाएगा।
लालमणि देवी
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आधी आबादी के लिए गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं के समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। जरूरतों को न•ार अंदा•ा कर समाज विकसित नहीं हो सकता है।
निक्कू कुमारी
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शिक्षा और रोजगार से महिलाओं में राजनीतिक चेतना का भी विकास हो सकेगा । महिलाओं के लिए स्वरोजगार की व्यवस्था गांव में होनी चाहिए।
मुन्नी देवी
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महिला जनप्रतिनिधि के रूप में चुनकर आने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को महिलाओं के उत्थान और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए प्रयास स्वयं से शुरू करना चाहि। सशक्त महिला से ही सशक्त समाज का निर्माण होगा।
जुली देवी
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महिला मतदाता अपने परिवार के आदेश पर मतदान करने के बजाए स्वयं के विवेक से अपना प्रतिनिधि चुनें संगीता देवी
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आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी महिला असमानता और पुरुष उत्पीड़न का शिकार होते रही है। राजनीतिक प्रतिबद्धता और विकासशील सोच के साथ समाज में परिवर्तन के लिए महिलाओं को खासकर युवा वर्ग को आगे आना होगा तभी समाज में महिलाओं के पक्ष में बदलाव संभव है।
अर्चना शर्मा
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