सतसंग नगर में रहते इसलिए निजी स्कूल में पढ़ते

जहानाबाद। सतसंग नगर में रहते हैं इसलिए तो निजी स्कूल में पढ़ते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 11:10 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 11:10 PM (IST)
सतसंग नगर में रहते इसलिए निजी स्कूल में पढ़ते
सतसंग नगर में रहते इसलिए निजी स्कूल में पढ़ते

जहानाबाद। सतसंग नगर में रहते हैं इसलिए तो निजी स्कूल में पढ़ते हैं। यहां फायर ब्रिगेड स्टेशन है जहां आग बुझाने भी पानी रोज सड़कों पर गिरता है। ऐसा नहीं कि जल निकासी के लिए कुछ कार्य नहीं हुआ। करीब 22 लाख रुपये नाली-गली निर्माण पर खर्च व्यर्थ साबित हुआ। यह हाल है नगर परिषद के सतसंग नगर इलाके की। शुक्रवार जागरण आपके द्वार कार्यक्रम के तहत टीम मोहल्ले का मुआयना किया तो कुछ इसी तरह का नजारा दिखा।

जहानाबाद बाजार समिति परिसर बिल्कुल वीरान पड़ा है। मोहल्ले के बीच यही एक मात्र खुला परिसर है जहां बच्चे बैडमिंटन और बुजुर्ग धूप सेंकने आते हैं। सुबह से कोहरा छाए रहने के कारण धूप में गर्माहट नहीं मिल रही है।

बाजार समिति प्रांगण में एक ओर जहां बच्चे बैडमिटन खेल रहे थे वहीं दूसरी ओर कुछ लोग धूप सेक रहे थे। मोहल्ले का नाम से यहां का जीवनशैली मैच नहीं करता। यहां सतसंग के उलटा कुसंगत का वातावरण है। मोहल्ले की सड़कें अनियोजित निर्माण के कारण आबादी की तुलना में संकीर्ण हो गई है। घनी आबादी के बीच बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के लिए कोई पार्क नहीं है। बाजार समिति प्रांगण एक मात्र मैदान है।

प्रांगण में अग्निशमन विभाग का कार्यालय भी है। कार्यालय के बाहर अग्निशमन विभाग की कई छोटी-बड़ी गाड़ियां खड़ी थी। इस कार्यालय से सटे निर्माण कार्य चल रहा था। गाड़ियों के आवागमन वाली सड़क पक्का नहीं हो सका है। सुगम रास्ता के अभाव में दमकल को बाहर निकलने में फ‌र्स्ट रेस्पांड का समय बर्बाद हो जाता है। मोहल्ले की गली संख्या एक ,दो तथा तीन पर नाली का पानी बह रहा था। पूछने पर पता चला कि मोहल्ले में तो नाली का निर्माण हुआ लेकिन बाहर किसी नाले से जल निकासी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण सड़क पर हीं पानी बहता है।इस हालात में ठंड के मौसम में भी यहां के मुख्य सड़क पर बरसात जैसा ही नजारा था। दरअसल इस वार्ड में हाल में ही तकरीबन 22 लाख रुपये की लागत से तीन गलियों का पीसीसी ढलाई का कार्य पूरा किया गया है। मोहल्ले से होकर अलगाना पईन गुजरती है। इस बावजूद मोहल्ले के घरेलू गंदे पानी को बहाव के लिए नाला नहीं बनाया जा सका। एक तो जर्जर सड़क, उपर से गंदे पानी का जमाव और शाम ढलते अंधेरा यहां की पहचान है।

इस वार्ड की आबादी करीब 8500 है लेकिन एक सरकारी विद्यालय नहीं है। निजी विद्यालय यहां के बच्चे पढ़ने जाते हैं। गरीब तबके के लोग अपने बच्चों को दूसरे वार्ड स्थित सरकारी स्कूल में में भेजते हैं। यहां दो आंगनबाड़ी केंद्र में कितने बच्चों को लाभ मिल रहा कोई बताने वाला नहीं है।

वार्ड एक नजर में

आबादी---8500

मतदाता---4000

सरकारी विद्यालय- शून्य

आंगनबाड़ी केंद्र -2

चौहद्दी --

उतर में --- मचला

दक्षिण में --- वार्ड संख्या तीन

पूरब में ---वार्ड संख्या पांच

पश्चिम में -- वार्ड संख्या एक

क्या कहते हैं वार्ड वासी बाजार समिति प्रांगण की घेराबंदी सरकार कराना चाहती है। इससे इलाके का रास्ता बंद हो जाएगा। बिना रास्ता दिए घेराबंदी कर दिया जाता है तो मोहल्ले के साथ-साथ अग्निशमन विभाग की गाड़ियां भी आ -जा नहीं सकेगी।

राकेश कुमार

फोटो---04

-- बड़ी समस्या जलजमाव की है। नाली का निर्माण तो कराया गया है लेकिन उसका पानी बाहर कैसे निकले इसके लिए बड़े प्रोजेक्ट की जरूरत है। जो वार्ड स्तर से संभव नहीं है।

देवकांत शर्मा उर्फ सन्यासी जी

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- कहने को तो हम लोग शहर में रहते हैं लेकिन इससे बेहतर गांव की स्थिति है। सड़क पर नाली के पानी पहने से पूजा पाठ के लिए भी शुद्धता के साथ मंदिर पहुंचना संभव नहीं है। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

शिववचन शर्मा

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- सरकारी विद्यालय यहां नहीं है ।सभी लोग निजी विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने में सक्षम नहीं है। वार्ड पार्षद तो हम लोगों की समस्याओं के निदान में जुटे रहते हैं। लेकिन यहां कई ऐसी बड़ी समस्याएं हैं जिसके निदान में सरकार को बड़ी पहल की जरूरत है। मीरा देवी फोटो--07 सुनें वार्ड पार्षद की मेरे स्तर पर आम आवाम के समस्याओं के निदान की हरसंभव पहल की जाती है। नली गली से लेकर रोशनी तक का प्रबंध कराया गया है। लेकिन यहां जल निकासी के साथ-साथ रास्ते की भी समस्या है। इसके निदान को लेकर हम लोग लगातार मांग कर रहे हैं। रेखा कुमारी फोटो---08

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