हाजिरी सदर अस्पताल की एसएनसीयू में और निजी क्लिनिक में देख रहे थे मरीज

बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा सरकार हमेशा करती है लेकिन इसका लाभ आज भी लोगों को नहीं मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 04:50 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 05:04 PM (IST)
हाजिरी सदर अस्पताल की एसएनसीयू में और निजी क्लिनिक में देख रहे थे मरीज
हाजिरी सदर अस्पताल की एसएनसीयू में और निजी क्लिनिक में देख रहे थे मरीज

जागरण संवाददाता, जहानाबाद: बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा सरकार हमेशा करती है। इसके लिए आदेश-निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। बावजूद जब इसमें अपेक्षित सुधार नहीं हो हा है। इस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।

अब सवाल जब नवजात से जुड़ा हो, तो तब स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी आम लोगों पर भारी पड़ जाती है। खासकर तब तो और ही जब संसाधन और चिकित्सक दोनों मुहैया करा दी गई हो। धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टर अगर अनदेखी करते हैं, तो सरकार के दावों पर प्रश्न चिह्न खड़े हो जाते हैं।

हम बात कर रहे हैं सदर अस्पताल के नवजात बच्चों की देखभाल एवं उपचार के लिए खोले गए एसएनसीयू की। जहां नवजात बच्चों के उपचार के लिए तैनात चिकित्सक महज हाजिरी बनाकर ही अपने दायित्वों की इतिश्री कर रहे हैं। यहां यह बता दें कि इस वार्ड में उन्हीं परिवारों के बच्चे आम तौर पर भर्ती होते हैं जिनके आर्थिक हालात सामान्य से भी नीचे होती है। शनिवार को जब संवाददाता सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में स्वास्थ्य सुविधाओं की पड़ताल करने पहुंचा तो यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि रजिस्टर पर चिकित्सक का हाजिरी तो बना है लेकिन उनकी उपस्थिति उनके तथाकथित खुद के निजी क्लिनिक में ड्यूटी बजा रहे हैं। मसलन यह कि हाजिरी तो सरकार अस्पताल में और उपस्थिति निजी क्लिनिक में। जहां वैसे मरीज का इलाज में डाक्टर साहब लगे हैं जो उनकी फीस को दे पाने में सक्षम है। अब सवाल उठता है कि जो परिवार फी देने में सक्षम नहीं वह सरकारी अस्पताल में अपने नवजात बच्चों को भर्ती कराकर डाक्टर साहब के आने के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे रहते हैं। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है। समय 11.30 बजे

एसएनसीयू वार्ड में प्रवेश करते ही दरवाजे के दाए साइड में गेस्ट रूम में एक कर्मी धीमी आवाज में टीवी देख रहा था। जब उनसे ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक के बारे में जानकारी हासिल की गई तो उनके द्वारा चिकित्सक का नाम लेते हुए बताया कि अभी बाहर गए हैं। जब उनसे डाक्टर के ड्यूटी चार्ट के बारे में पूछा तो उनके द्वारा उसी चिकित्सक का नाम बताया गया जो बाहर गए हुए थे। वार्ड में 11 बच्चे भर्ती थे। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि वगैर चिकित्सक के बच्चे भगवान भरोसे हैं। हालांकि देखभाल के लिए कुछ स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। संवाददाता को कुछ शंका हुआ तो उन्होंने कर्मी द्वारा बताए गए चिकित्सक की पड़ताल करना शुरु किया। समय 12.00 बजे

एसएनसीयू के बाहर बच्चे के अभिभावक शेड में बैठे थे। शकुराबाद निवासी मनीष कुमार ने बताया कि सरकारी व्यवस्था अच्छी है। जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य कर्मी जानकारी देते रहते हैं। सरकार द्वारा की गई यह सुविधा सराहनीय योग्य है। वहीं मलहचक निवासी जितेंद्र कुमार ने बताया कि सुबह में नवजात बच्चा को भर्ती कराया है। पटना जाने से हमलोग बचते है। स्वास्थ्य सुविधा सही है। 12.30 बजे

सदर अस्पताल से बाहर निकलकर जब संवाददाता समाहरणालय की ओर जाने लगा तो लाल मंदिर के समीप स्वास्थ्य कर्मी द्वारा बताए गए चिकित्सक के नाम से बोर्ड दिखा। नजर पड़ते ही जब गाड़ी रोककर तहकीकात किया गया तो पता चला कि जिनका ड़्यूटी एसएनसीयू में है वह अपने प्राइवेट क्लिनिक में मरीज देख रहे हैं। अब इससे आप खुद समझ सकते हैं कि यदि कोई बच्चा सीरियस हो जाए तो वैसी स्थिति में उसका इलाज स्वास्थ्य कर्मी के ही जिम्मे होगा। अन्यथा किसी कर्मी द्वारा फोन किए जाने पर डाक्टर साहब क्लिनिक छोड़ अला लेकर दौड़े भागेंगे। तब तक देर भी हो सकती है।

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प्राइवेट क्लीनिक में ड्यूटी करना गलत है। सदर अस्पताल में हाजिरी बनाकर क्लीनिक पर ड्यूटी करने की शिकायत मिलने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। अभी तक इसकी किसी मरीज ने शिकायत नहीं की है।

डा. अशोक कुमार चौधरी, सिविल सर्जन

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