उदेरास्थान बराज से आबाद हो रही जिले की 27 हजार हेक्टेयर भूमि

जहानाबाद। जिले की 76 फीसद आबादी कृषि पर आधारित है। ऐसे में इस इलाके की खुशहाली के लिए बेहद जरूरी हैं सिचाई के संसाधन। सिंचाई संसाधनों को सुदृढ़ बनाने लिए सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित की जा रही हैं। राज्य सरकार की उदेरास्थान बराज परियोजना सिंचाई के लिए मील का पत्थर साबित हुई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 11:39 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 11:39 PM (IST)
उदेरास्थान बराज से आबाद हो रही जिले की 27 हजार हेक्टेयर भूमि
उदेरास्थान बराज से आबाद हो रही जिले की 27 हजार हेक्टेयर भूमि

जहानाबाद। जिले की 76 फीसद आबादी कृषि पर आधारित है। ऐसे में इस इलाके की खुशहाली के लिए बेहद जरूरी हैं सिचाई के संसाधन। सिंचाई संसाधनों को सुदृढ़ बनाने लिए सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित की जा रही हैं। राज्य सरकार की उदेरास्थान बराज परियोजना सिंचाई के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस बराज के बन जाने से जहानाबाद, गया तथा नालंदा जिले की 41 हजार हेक्टेयर भूमि सीधे फल्गु नदी के पानी से सिचित होने लगी है। सिर्फ जहानाबाद जिले की बात करें तो यहां की 27 हजार हेक्टेयर भूमि इस पानी से आबाद हो रही है।

दरअसल, जहानाबाद, गया और नालंदा के किसानों की वर्षों पुरानी मांग को देखते हुए वर्ष 2006 में उदेरास्थान बराज का शिलान्यास किया गया था। इसका उद्घाटन 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। यह इलाके के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। फल्गु नदी का पानी जिले के मखदुमपुर, घोसी तथा हुलासंगज प्रखंड क्षेत्र के खेतों तक नहर के माध्यम से अब पहुंच रहा है। बराज के कारण नदी के पानी को बर्बाद होने से भी रोका जा रहा है। ज्यादा पानी आने पर बराज के गेट को बंद कर देने से बाढ़ की समस्या से भी निजात मिल जाती है। पहले किसानों के अरमानों पर फिर जाता था पानी

पहले फल्गु नदी का पानी सीधे बहते हुउ आगे बढ़ जाता था। आसपास के खेत सूखे रह जाते थे। सिचाई के अभाव में जिले के मखदुमपुर, हुलासंगज तथा घोसी प्रखंड की भूमि बंजर होती जा रही थी। किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए रहते थे कि कब बारिश हो और कृषि कार्य शुरू करें। समय पर बारिश नहीं होने से किसानों के अरमानों पर पानी फिर जाता था। साढ़े सात सौ करोड़ की लागत से हुआ निर्माण साढ़े सात सौ करोड़ की राशि से निर्मित उदेरास्थान बराज से खेत का हर एक कोना सिचित हो रहा है। मखदुमपुर प्रखंड क्षेत्र के बेला वीरा के किसान मिथिलेश प्रसाद व सूर्यदेव कुमार ने बताया कि अब फल्गु नदी में थोड़ा पानी आते ही नहर में भी पहुंच जाता है। पहले पूरी तरह से बारिश पर निर्भर रहते थे। अब सिंचाई के लिए पानी की कोई कमी नहीं होती। इसी तरह हुलासंगज प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी धान की रोपनी के लिए बारिश पर निर्भर रहने की बाध्यता समाप्त हो गई। आज इन क्षेत्रों के किसानों की खुशहाली इसी बराज से ही है।

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