इस बार अरहर और मक्के के साथ खेतों में लहलहाएगी तिल की फसल
खरीफ के इस सीजन में इस बार अरहर और मक्के के साथ खेतों में तिल की फसल भी लहलहाएगी।
जागरण संवाददाता, गोपालगंज : खरीफ के इस सीजन में इस बार अरहर और मक्के के साथ खेतों में तिल की फसल लहलाएगी। कृषि विभाग तिलहनी फसल के रूप में इस बार तिल की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है। कृषि विभाग ने तिल की खेती करने के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। अरहर और मक्के के साथ किसान तिल की खेती कर दोहरा लाभ ले सकते हैं। तिल की बुआई करने का समय भी आ गया है। किसान इसके महीने के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले पखवारे में तिल की बुआई कर अच्छी उपज ले सकते हैं।
खरीफ फसल के रूप में किसान व्यापक पैमाने पर धान की खेती करते हैं। बारिश होने के बाद अब धान की रोपनी का काम तेजी से रहा है। धान के साथ ही खरीज फसल के रूप में जिले में मक्के की भी व्यापक पैमाने पर खेती होती है। पिछले कुछ साल से कृषि विभाग खरीफ फसल के रूप में अरहर की खेती का रकबा बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। इस बार मक्का और अरहर के साथ तिल की खेती को भी कृषि विभाग बढ़ावा देर रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी डा.वेदनारायण सिंह बताते हैं कि तिलहनी फसल के रूप में तिल की खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 हेक्टेयर में इसकी खेती कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किसान मक्का और अरहर के साथ तिल की खेती कर दोहरा लाभ ले सकते हैं। जुलाई के दूसरे पखवारे तक तिल की बुआई करने के लिए उपयुक्त समय है। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र कें कृषि वैज्ञानिक डा.अमित विशेन ने बताया कि किसानों को तिल की बुआई ऐसे खे में करनी चाहिए, जिसमें जलजमाव नहीं होता हो। तिल की बुआई से पहले खेत की आखिरी जुताई करने के समय गोबर का खाद खेत में मिलाना चाहिए। दीमक, सफेद बिडार, सूत्र कृमि रोगों से बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर ब्यूवैरिया वैसियान एक प्रतिशत, डब्ल्यूपी बायोपेस्टिसाइड की ढाई किग्रा भी गोबर की खाद में मिलानी चाहिए। उन्होंने बताया कि बुआई के 15 दिन बाद खेत से खर-पतवार निकाल देना चाहिए। जिससे तिल की अच्छी उपज होती है। ----------------
- तिलहनी फसल के रूप में तिल की खेती पर कृषि विभाग दे रहा है जोर, तिल की खेती का लक्ष्य निर्धारित