स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी पड़ रही चिकित्सकों की कमी

निश्शुल्क इलाज मुफ्त में दवाएं शहर से लेकर कस्बों और गांव तक में बने स्वास्थ्य केंद्र यह गारंटी देते हैं कि जिले के निवासियों को स्वास्थ्य की सुविधाएं मिल रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 05:25 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 05:25 PM (IST)
स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी पड़ रही चिकित्सकों की कमी
स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी पड़ रही चिकित्सकों की कमी

गोपालगंज। निश्शुल्क इलाज, मुफ्त में दवाएं, शहर से लेकर कस्बों और गांव तक में बने स्वास्थ्य केंद्र, यह गारंटी देते हैं कि जिले के निवासियों को स्वास्थ्य की सुविधाएं मिल रही हैं। पर, सरकारी अस्पतालों में 112 चिकित्सकों के पद रिक्त रहने से धरातल पर हकीकत कुछ और नजर आती है। सरकारी अस्पतालों में पहुंचते ही मरीजों को इस बात का अहसास भी हो जाता है कि यहां सब कुछ है, पर बेहतर इलाज की सुविधा नहीं हैं। सदर अस्पताल से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक की कमी मरीजों पर भारी पड़ रही है। वैसे शहरी क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों इलाज की व्यवस्था कुछ ठीक है, पर ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों पर मरहम-पट्टी तक की सुविधा चौबीस घंटे आम लोगों को मुहैया नहीं हो पाती।

बात सदर अस्पताल से शुरू करें तो सात साल की लंबी कवायद के बाद यहां आइसीयू सेवा चालू की गई। पर, कुछ समय बाद ही संसाधन के अभाव में आइसीयू की सेवा बंद कर दी गई। वैसे जिले की करीब 26 लाख की आबादी के लिए सदर व अनुमंडलीय अस्पताल के अलावा चार रेफरल अस्पताल, 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 23 अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र तथा 127 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। बीते कुछ सालों में जिला व अनुमंडल स्तरीय अस्पतालों की दशा भी सुधरी है। कुछ हद तक प्रखंड स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति भी बेहतर हुई है। लेकिन सुधार की इस प्रक्रिया के बीच चिकित्सकों की भारी कमी बेहतर इलाज में बाधक बनी हुई है। ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक की कमी से मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों पर तो सप्ताह में एक या दो दिन ही डॉक्टर पहुंचते हैं। वह भी महज चंद घंटों के लिए। ऐसे में यहां आने वाले मरीज बैरंग वापस लौटने को विवश होते हैं।

इनसेट

सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की संख्या

- नियमित चिकित्सक -

स्वीकृत पद कार्यरत खाली

101 32 69

संविदा पर बहाल चिकित्सक

स्वीकृत पद कार्यरत खाली

69 36 33

आयूष चिकित्सक (संविदा)

स्वीकृत पद कार्यरत खाली

32 23 9

इनसेट

नियमित ग्रेड ए नर्स की संख्या

स्वीकृत पद कार्यरत खाली

18 7 11

संविदा पर बहाल

स्वीकृत पद कार्यरत खाली

68 16 52

इनसेट

एएनएम की संख्या नियमित

स्वीकृत पद कार्यरत खाली

268 205 63

संविदा पर बहाल

स्वीकृत पद कार्यरत खाली

186 107 79

इनसेट

स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई

* सदर अस्पताल का आइसीयू चालू होने के कुछ दिन बाद बंद हुआ।

* इमरजेंसी वार्ड तक में दिखती है गंदगी।

* कई विभागों में नहीं हैं चिकित्सक।

* हर दिन नहीं खुलते अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र।

* उप स्वास्थ केंद्रों पर कर्मियों का अभाव।

* प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में महिला चिकित्सकों की कमी।

इनसेट

मरीजों की समस्या

* नहीं मिलती सरकार द्वारा निर्धारित दवाएं।

* अस्पताल में कभी बेड तो कभी चादर गायब।

* मानक के अनुसार नहीं मिलता नाश्ता व भोजन।

* आइसीयू की बदहाली से दूसरे अस्पताल दौड़ने की विवशता।

* गंभीर बीमारियों के इलाज की नहीं है व्यवस्था।

* ग्रामीण अस्पताल की बदहाली से मुख्यालय आने की मजबूरी।

वर्जन

चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के बावजूद अस्पतालों की व्यवस्था ठीक से चल रही है। रिक्त पदों को भरे जाने के संबंध में विभागीय निर्देश के आलोक में आगे की कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ. टीएन सिंह

सिविल सर्जन

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