गोपालगंज में रबी अभियान में जुटा विभाग, 500 हेक्टेयर में होगी मसूर की खेती
जिले में दलहन की कमी अब मसूर से दूर की जाएगी। मसूर की खेती करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जागरण संवाददाता, गोपालगंज : जिले में दलहन की कमी अब मसूर से दूर की जाएगी। मसूर की खेती करने के लिए किसानों के चयन के साथ ही 500 हेक्टेयर में इसकी खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए चयनित किसानों को अनुदानित दर पर बीज देने के साथ ही उनको प्रशिक्षण भी देने का निर्णय लिया गया है। ऐसे में अब वह दिन दूर नहीं जब कभी अरहर से लहलहाने वाले खेतों में मसूर की हरियाली दिखेगी।
जिले मे दलहन की खेती का अपना इतिहास रहा है। एक समय ऐसा भी था कि जब यहां अरहर की खेती किसानों की आय का मुख्य स्त्रोत हुआ करती थी। यहां पैदा की गई अरहर सूबे के अन्य इलाकों के साथ ही यूपी से लेकर नेपाल तक ही थाली में सजती थी। समय के साथ साथ अरहर की खेती में कमी होती गयी। इसका एक मुख्य कारण पर्यावरण में आए बदलाव और अरहर की खेती के प्रति विभागीय उपेक्षा भी रही। खेतों में लगी अरहर की फसल में फूल नहीं लगने और दाना नहीं आने से किसान इसकी खेती से विमुख होते चले गए। कभी सैकड़ों एकड़ में लगायी जाने वाली अरहर कट्ठे तक सिमट कर रही गई। अरहर की खेती के प्रति किसानों की बेरुखी का सीधा असर दलहन की कमी के रूप में सामने आई। इसे देखते हुए कृषि विभाग फिर दलहन की खेती पर जोर दे रहा है। रबी सिजन में दलहनी फसल मसूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए जिला कृषि विभाग सक्रिय हो गया है। जिला कृषि पदाधिकारी डा.वेदनारायण सिंह ने बताया कि मसूर की खेती के लिए जिले की मिट्टी काफी अच्छी है। इस बार 500 हेक्टेयर में मसूर की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्नत बीज और तकनीकी से मसूर की खेती करने के लिए किसानों का चयन भी कर लिया गया है। -----------------
- बीज की खरीद पर मिलेगा अनुदान उन्नत तरीके से खेती को किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण