गोपालगंज के बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में जुटती भीड़

थावे के विदेशी टोला शिव स्थान में स्थित बाबा सिद्धेश्वरनाथ तक पहुंचने के लिए सभी रास्ते सुगम हैं। श्रावण मास में यहां भीड़ लगती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 05:14 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 05:14 PM (IST)
गोपालगंज के बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में जुटती भीड़
गोपालगंज के बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में जुटती भीड़

गोपालगंज : थावे के विदेशी टोला शिव स्थान में स्थित बाबा सिद्धेश्वरनाथ तक पहुंचने के लिए सभी रास्ते काफी सुगम हैं। करीब 200 साल पुराने इस मंदिर की दूरी जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर है। यहां से आने के लिए हमेशा आटो व टैक्सी चलते हैं। थावे जंक्शन से मंदिर की दूरी मात्र एक किलोमीटर है। अलावा इसके ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर व थावे बाजार से आने-जाने के लिए भी सुगम रास्ता है। श्रावण माह में इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए दूर-दराज से भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं। मंदिर का इतिहास:

थावे के विदेशी टोला के शिवस्थान में 18वीं सदी में यहां सिद्धेश्वर नामक एक गरीब किसान रहते थे, जो गांव-गांव में घूमकर खाट बुनने का काम के साथ ही मजदूरी करते थे। एक दिन एक खाट बुनने के के लिए इसी स्थान पर ऊंचा टीला देखकर उसी पर बैठकर डंडे से मूंज को पीटने लगे। मूंज को पीटने के क्रम में टीला का एक भाग टूट गया और टूटे हुए टीले से खून निकलने लगा। खून निकलते देख किसान घबरा गए और गांव मे जाकर ग्रमीणों को इस बात की जानकारी दी। ग्रामीणों ने इस बात की जानकारी हथुआ राज को दी। यह बात सुनकर हथुआ राज के कर्मी आए और जांच पड़ताल के बाद राज परिवार को पूरी बात की जानकारी दी। हथुआ राज की ओर से टीले की सफाई कराने पर उसमें से शिवलिग निकला। हथुआ राज ने बाद में वाराणसी से विद्वानों को बुलाकर शिवलिग का प्राण प्रतिष्ठा कराया। हथुआ राज ने इस मंदिर की देखरेख के लिए 51 बिगहा जमीन भी दान में मंदिर को दे दिया। गरीब किसान के नाम पर बाबा की पहचान होने के कारण इस शिव मंदिर का नाम बाबा सिद्धेश्वरनाथ पड़ा। मंदिर परिसर के गर्भ गृह में माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की भी प्रतिमा है। इसके साथ ही मंदिर परिसर के सामने बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित की गई है।

मंदिर की विशेषता

इस मंदिर में पूजा अर्चना करने से भक्तों की प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। वैसे तो यहां सालों भर भक्तों की भीड़ रहती है। लेकिन श्रावण के महीने में यह भीड़ और बढ़ जाती है। यहां सालों भर प्रत्येक शनिवार को भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। मंदिर परिसर में जाने के लिए दो रास्ते हैं। दोनों रास्ते पक्की सड़क से जुड़े हैं। मंदिर के समीप स्थापित बड़ा गेट मंदिर को भव्यता प्रदान करता है। --------------

इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए दूर राज से भक्त पहुंचते हैं। यहां पूजा अर्चना करने वालों की हर मनोकामना बाबा पूरी करते हैं। इस मंदिर में सालों भर पूजा अर्चना के लिए भीड़ लगी रहती है। पूरे श्रावण महीने के अलावा महाशिवरात्रि के मौके पर यहां दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में सालों भर प्रत्येक शनिवार को कीर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

पूजारी, राघव गिरी --------------

इस प्राचीन मंदिर में पूरे विधि विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर प्रबंधन श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा प्रदान करता है। इस मंदिर में रुद्राभिषेक कराने का अलग महत्व है। यहां भगवान शिव की पूजा अर्चना दूध, जल, दही व बेलपत्र से होती है।

मनोज गिरी

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