तीन माह तक दो साल के अपने बच्चे से दूर रही गोपालगंज की एएनएम नीतू
नमो देव्यै महा देव्यै बिहार-यूपी की सीमा पर मिली थी प्रवासियों की स्क्रीनिंग की जिम्मेवारी लगातार करती रही काम नहीं की कोरोना से बीमार होने की चिता।
जागरण संवाददाता, गोपालगंज : कोरोना काल की शुरुआत के समय डॉक्टर, नर्स व सफाई कर्मियों ने बड़ी जंग लड़ी। पूरे देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद लोग अपने घरों में थे। ऐसे कठिन दौर में एएनएम नीतू ने अपने घर व परिवार के अलावा दो साल के मासूम बेटे तक की परवाह नहीं की। इस बीच अपने परिवार के लोगों की चिता छोड़कर वह समाज की सेवा व प्रवासियों की स्क्रीनिग के कार्य में बिहार व उत्तरप्रदेश के बॉर्डर पर तैनात रही।
एएनएम नीतू ने बताया कि कोरोना संक्रमण के प्रारंभ में सभी आशंकित थे। ऐसे कठिन दौर में उन्होंने कोरोना जांच से लेकर मरीजों की स्क्रीनिग तक की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अचानक दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, केरल, चंडीगढ़ तथा सीमावर्ती उत्तरप्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से प्रवासियों के लौटने का सिलसिला प्रारंभ हुआ। उन राज्यों में कोरोना संक्रमण का दौर चरम पर था। स्क्रीनिग की ड्यूटी पर तैनात होने के बाद उन्होंने घर जाना छोड़ दिया। दिन-रात बॉर्डर पर स्क्रीनिग के कार्य में लगी रहीं। उन्होंने बताया कि उस समय स्क्रीनिग के दौरान उन्हें गर्मी के मौसम में पीपीई किट पहनना पड़ता था। तीन माह तक वह ड्यूटी के दौरान घर नहीं गईं। इस बीच उनका दो साल का बच्चा घर पर अपनी दादी के सहारे रहा।
इनसेट
वीडियो कॉल से होती थी बेटे से बात
गोपलगंज : एएनएम नीतू ने बताया कि करोना वायरस की वजह से करीब तीन माह तक वह अपने घर नहीं जा सकीं। इस बीच वह अपने दो साल के मासूम बेटे को गले लगाने को तरस रही थीं। ऐसे में वह बेटे की याद आने पर वीडियो कॉलिग का सहारा लेती थीं। पटना की रहने वाली है एएनएम नीतू ने बताया कि अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वह उस काल में उनसे दूर रहीं।