मलेरिया विभाग की 70 टीमें कर रही एसपी स्प्रे का छिड़काव

गोपालगंज विजयीपुर के कालाजार मुक्त प्रखंड घोषित होने के बाद अब मलेरिया विभाग जिले को काला

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 12:14 AM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 12:14 AM (IST)
मलेरिया विभाग की 70 टीमें कर रही एसपी स्प्रे का छिड़काव
मलेरिया विभाग की 70 टीमें कर रही एसपी स्प्रे का छिड़काव

गोपालगंज : विजयीपुर के कालाजार मुक्त प्रखंड घोषित होने के बाद अब मलेरिया विभाग जिले को कालाजार से मुक्त करने के लिए अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत जिले के 370 गांवों में मलेरिया विभाग की 70 टीमें एसपी स्प्रे का छिड़काव कर रही है। चार अक्टूबर तक चलने वाले इस अभियान के दौरान दो लाख 376 एसपी स्प्रे का छिड़काव करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस बीच सोमवार को पटना से जिले में पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक डा. चंद्रभूषण नारायण ने बरौली तथा बैठकुंठपुर में चल रहे स्प्रे के छिड़काव का निरीक्षण करते हुए उसका जायजा लिया। स्प्रे छिड़काव कार्यो का जायजा लेने के बाद अपर महा निदेशक ने सदर अस्पताल में सिविल सर्जन डा.योगेंद्र महतो के साथ बैठक कर कालाजार उन्मूलन अभियान की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि जिले में दस लाख 88 हजार आबादी कालाजार से प्रभावित होती है। समीक्षा के दौरान अपर महानिदेशक डा. चंद्रभूषण नारायण कालाजार से प्रभावित होने वाले सभी गांवों व इलाके में मानक के अनुसार स्प्रे करने का निर्देश दिया। बैठक में सिविल सर्जन ने बताया कि विजयीपुर कालाजार मुक्त प्रखंड घोषित हो चुका है। अन्य प्रखंडों के प्रभावित गांव में स्प्रे का छिड़काव किया जा रहा है। तीन साल के अंदर जिस क्षेत्रों में कालाजार के मरीज मिले हैं, उसे मानक आधार बनाकर गांवो की सूची बनाई गई है। सूचना में शामिल गांवों में माइक्रोप्लान बनाकर दवा का छिड़काव किया जा रहा है।

घरों का सामान बाहर निकाल कराएं छिड़काव

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी(जिला मलेरिया पदाधिकारी) डा. हरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि गोशालों में भी स्प्रे का छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है। कालाजार बीमारी अमूमन बालूमक्खी के काटने से ही होती है। यह मक्खी नमी वाली जगहों पर ज्यादा निवास करती हैं। इसके साथ ही अंधेरे वाले स्थानों पर भी इसकी वास होती है। दीवारों के छिद्र में भी बालूमक्खी रहती हैं। इसको देखते हुए घरों का सामान बाहर निकाल कर दवा का छिड़काव कराने की अपील लोगों से की गई है। उन्होंने बताया कि कालाजार जानलेवा बीमारी है। पहली चुनौती बीमारी को शुरू में ही पहचानने और उपचार की है। कालाजार हल्के बुखार, कमजोरी और भूख की कमी से शुरू होता है तथा कई सप्ताह में तेज बुखार, एनिमिया, लीवर का बढ़ना, चिड़चिड़ापन, त्वचा का काला पड़ना, पेट फूलना, निर्बलता जैसे लक्षणों में बदल जाता है। समुचित उपचार नहीं होने पर रोगी की मृत्यु संभावित हो जाती है। अधिकतर रोगी आम तौर पर एंटी-बायोटिक लेने या मलेरिया के इलाज के चक्कर में बहुत खर्च कर देते हैं, लेकिन कालाजार के कारण हो रहे बुखार में ये उपचार कारगर नहीं होते।

क्या कहते हैं जिला मलेरिया पदाधिकारी

कालाजार की रोकथाम के लिए दवा का स्प्रे किया जा रहा है। जिन घरों के स्प्रे का छिड़काव किया जा रहा है, गृहस्वामी अपने घरों व दीवारों की रंगाई-पुताई करीब तीन माह तक नहीं करें, ताकी दवा स्प्रे का असर निरंतर बना रहे। पुताई करने के बाद दवा का असर खत्म हो जाएगा। लिहाजा बालूमक्खी के जीवाणु की उत्पति होने की आशंका प्रबल हो जाती है।

डा. हरेंद्र प्रसाद सिंह, जिला मलेरिया पदाधिकारी

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