बिहार के गया में महिलाओं ने पेश की मिसाल, मां के निधन पर बेटी ने दिया कंधा तो बहू बोली-मैं भी हूं साथ

Gaya News बिहार के गया में एक महिला के निधन पर बहू और बेटी ने अर्थी को कंधा दिया। उन्‍होंने अर्थी को गांव के सोरहर नदी के श्मशान घाट तक पहुंचाया। मुखाग्नि बड़े पुत्र ने दी। इस अंतिम यात्रा की चर्चा पूरे इलाके में है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 07:53 PM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 09:39 AM (IST)
बिहार के गया में महिलाओं ने पेश की मिसाल, मां के निधन पर बेटी ने दिया कंधा तो बहू बोली-मैं भी हूं साथ
गया में महिला के शव को कंधा देतीं बहू और बेटी।

गया, जागरण संवाददाता। आधी आबादी भी अब हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही है। चाहे वो खुशी का मामला हो या फिर दुख का। हालांकि इसमें घर के पुरुषों का भी समर्थन प्राप्त है, तभी ऐसा संभव हो पा रहा है। गया के अति नक्सल प्रभावित व जिला मुख्यालय से सुदूरवर्ती इमामगंज प्रखंड के पथरा गांव मंगलवार को चर्चा में बना रहा। यहां एक घर की महिलाओं ने अनूठा काम किया। कार्य भी ऐसा जो एक परिवार तो दूर गांव में किसी के घर की महिलाओं ने नहीं किया था। दरअसल, पथरा गांव के राजदेव प्रसाद, सरजू प्रसाद, राम कुमार प्रसाद की 108 वर्षीय मां तेतरी देवी का निधन सोमवार की रात हो गया। तेतरी के पति का पहले ही निधन हो चुका है। मंगलवार को ततेरी के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार करना था। ऐसे में बेटी जब अर्थी को कंधा देने के लिए आगे आई तो बहू ने भी साथ चलने पर हामी भर दी। बहू और बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर गांव के सोरहर नदी के श्मशान घाट तक पहुंचाया। मुखाग्नि बड़े पुत्र ने दी। 

नाती-पोते के साथ अन्य स्वजन भी हुए शामिल

चूंकि गांव में ऐसा पहला मामला था तो जब घर की बहू और बेटियों ने अर्थी को कंधा दिया तो ग्रामीण भौचक रह गए। तेतरी देवी के पति की मौत पहले हो चुकी है। अंतिम संस्कार में मृतका के नाती-पोते के साथ अन्य स्वजन और ग्रामीण शामिल रहे। अर्थी का कंधा दे रहीं बेटियों ने बताया कि मां के आंचल में रहकर बड़ी हुईं, कई तरह की शिक्षा ली। शादी हुई और आज खुशहाल जीवन जी रहे हैं। मां का थोड़ा कर्ज उतारने का मौका मिला है। मां के रहते उनके लिए तो कुछ नहीं कर पाए। कंधा देने की परंपरा हमारे यहां पुरुषों की ही रही है। आज लगा कि महिलाएं क्यों नहीं ऐसा कर सकती हैं। मृतका को मुखाग्नि डाक विभाग से सेवानिवृत्त हुए बड़े पुत्र राजदेव प्रसाद ने दी।

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