ठंड की दस्तक के साथ कैमूर के बाजार गरम, ऊनी कपड़े खरीदने के लिए उमड़ने लगी ग्राहकों की भीड़

कैमूर जिले में ठंड के दस्तक देने के साथ ही गर्म कपड़ों की मांग एकाएक बढ़ गई है। बाजार में गर्म कपड़ों की दुकानों पर भीड़ दिखने लगी है। वहीं पिछले साल के मुकाबले कोरोना के कारण इस बार ऊनी कपड़ों की कीमतों में उछाल आया है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 04:13 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 04:13 PM (IST)
ठंड की दस्तक के साथ कैमूर के बाजार गरम, ऊनी कपड़े खरीदने के लिए उमड़ने लगी ग्राहकों की भीड़
कैमूर में सड़कों पर सजने लगा गर्म कपड़ों का बाजार। जागरण।

संवाद सहयोगी, भभुआ। कैमूर जिले में ठंड के दस्तक देने के साथ ही गर्म कपड़ों की मांग एकाएक बढ़ गई है। बाजार में गर्म कपड़ों की दुकानों पर भीड़ दिखने लगी है। वहीं पिछले साल के मुकाबले कोरोना के कारण इस बार ऊनी कपड़ों की कीमतों में उछाल आया है। इस बार बरसात भी अच्छी हुई है तो ऐसा उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार ठंड भी खूब पड़ेगी। अभी दिसंबर माह की शुरुआत में ही ठंड ने काफी दस्तक दे दी है। दस्तक के कारण बाजारों में गर्म कपड़ों की मांग बढ़ी है। बाजारों में जैकेट, जर्सी, अपर, हुड, शॉल की मांग बढ़ी है। लोगों ने सर्दियों से निपटने का इंतजाम शुरू कर दिया है। इसके साथ ही रजाई व गद्दे भी खरीदे जा रहे हैं। जिले के दुकानदार भी बाहर से गर्म कपड़े मंगाने लगे है। दरअसल, वाराणसी, कोलकता, जलंधर, पंजाब, लुधियाना आदि शहरों से गर्म कपड़े मंगाए जा रहे है। जिले के मॉल, फुटपॉथ व शो रूम के साथ खुदरा विक्रेताओं के दुकानों में गर्म कपड़े खूब दिखने लगे है। वहीं युवाओं में नए फैशन के तहत नया जैकेट आदि के बाजार में आने की उम्मीद लगाए बैठे है।  

खूब बिक रहे गर्म कपड़े

जिले में गर्म कपड़ों की खरीदारी शुरू है। भभुआ नगर के दुर्गा वस्त्रालाय व हिंदुस्‍तान वस्त्रालय आदि के संचालकों ने बताया कि कपड़ों के दामों में बढ़ोतरी हुई है। कोरोना के बाद से हर व्यवसाय को नुकसान हुआ है। इस कारण दाम में वृद्धि हुई है। कोरोना काल के दौरान नया माल कम बना है। वर्तमान में कोट, मफलर, गर्म शॉल, सिल्की साड़ी, बेड शीट, रजाई, गद्दे, सभी तरह के कपड़े लोग खरीदकर ले जा रहे हैं।

अब घरों में नहीं बुने जा रहे स्वेटर

पहले घरों में महिलाओं द्वारा स्वेटर बुना जाता था। लेकिन अब महिलाएं घरों में स्वेटर व जर्सी बुनने से परहेज करने लगी हैं। पहले घरों में ही महिलाएं स्वेटर, जर्सी बुनती हैं। परिवार की महिलाएं टुकड़ों में यह स्वेटर बुनती थीं, जो करीब 15 से 20 दिनों में तैयार होता था। लेकिन बाजार में अब सभी तरह के गर्म कपड़े मिलने पर महिलाओं ने गर्म कपड़ों को बुनने से परहेज कर रही है।

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