रोहतास जिले के किसानों के लिए मुसीबत बने वन्य जीव, फसलों को नुकसान से बचाने के लिए कर रहे रतजगा
अनुमंडल क्षेत्र के कैमूर पहाड़ी के पार्श्व गांवों के किसान वन्य पशुओं के आतंक से परेशान हैं। किसानों द्वारा पहाड़ी के तराई वाले इलाके में फसलें तो लगाई जाती है किंतु वन्य पशु नीलगाय हिरण सांभर जंगली सूअर साहिल इनकी फसलों को काफी नुकसान कर रहे हैं।
डेहरी ऑन सोन (रोहतास), संवाद सहयोगी। अनुमंडल क्षेत्र के कैमूर पहाड़ी के पार्श्व गांवों के किसान वन्य पशुओं के आतंक से परेशान हैं। किसानों द्वारा पहाड़ी के तराई वाले इलाके में फसलें तो लगाई जाती है, किंतु वन्य पशु नीलगाय, हिरण, सांभर जंगली सूअर, साहिल इनकी फसलों को काफी नुकसान कर रहे हैं। किसान इसे लेकर रात रात भर खेतों की रखवाली करते हैं, ताकि फसलों को नुकसान कम हो।
किसानों ने जिला प्रशासन से की मुआवजे की मांग
अनुमंडल क्षेत्र के नौहट्टा, रोहतास, तिलौथू, डेहरी प्रखंड के पहाड़ से सटे दर्जनों गांवों के किसानों ने जिला प्रशासन और डीएफओ से मिल इन जंगली पशुओं से हो रहे फसल नुकसान की भरपाई करने की मांग की है। रोहतास प्रखंड के करमा गांव निवासी वीरेंद्र कुमार सिंह, विजय कुमार सिंह, मदन कुमार कहते हैं कि पहाड़ से सटे अपने खेतों में गेहूं प्याज अरहर समेत कई प्रकार की खेती की गई है। जहां भोर में पशु निकलते हैं और इन फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
खेतों में लगी फसल को चर जाती हैं नीलगायें
साहिल नामक जंतु अरहर के लगे खेत में पूरा अरहर का फसल काट देता है और अरहर के फसल की डंठल कट जाने के कारण फसल सूख जाते हैं, जिससे काफी नुकसान होता है। वही नीलगाय खेतों में लगी फसलों को चर जाती है, जबकि अन्य जंगली जानवर जब जंगली क्षेत्रों में पेयजल का अभाव होता है। सुबह तीन बजे से पांच बजे तक जंगल से निकलकर सोन नदी की ओर पानी पीने के लिए जाते हैं। इस क्रम में झुंड के झुंड वन्य पशु जाने के कारण उनके पैरों से भी फसलों को काफी नुकसान होता है। किंतु अभी तक हम लोगों को इससे निजात पाने और इससे मुक्ति का कोई सुझाव विभाग द्वारा नहीं दिया जाता है, जबकि हम लोग कई बार इस मामले से विभाग को अवगत कराए हैं।
वन विभाग कर रहा परेशानी दूर करने की कोशिश
वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रदुम्न गौरव कहते हैं कि इससे निजात के लिए वन विभाग द्वारा आधुनिक टेक्नोलॉजी का विकास किया गया है। जो किसानों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ जगहों पर जल्द उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि उनकी फसलें वन्य पशुओं से नुकसान नहीं हो सके। साथ ही जिनकी फसल का नुकसान होता है वह विभाग को अंचल अधिकारी द्वारा भौतिक सत्यापन कराकर आवेदन करें। उन्हें विभाग द्वारा मुआवजा भी दिया जाएगा। किंतु वन्य पशुओं की हत्या करना दंडनीय अपराध है। वह भी जीव है उनकी हत्या नहीं की जाए। वन विभाग के साथ-साथ समाज की भी नैतिक जवाबदेही है कि वन्य पशुओं की सुरक्षा करें। स्थानीय लोग अगर कमिटी बनाकर रात्रि में खेतों की पहरेदारी करते है तो उन्हें विभाग द्वारा रोशनी व अन्य संसाधन की व्यवस्था की जाएगी।