Aurangabad: यहां 70 वर्षों से पानी की किल्‍लत, गोरैया डैम बनने से संवरेगी सैकड़ों गांवों की तस्‍वीर

औरंगाबाद में 70 वर्षों से जंगल तटीय इलाके के ग्रामीण तरस रहे हैं। उनका कहना है कि बांध गोरेया डैम बनने से सैकड़ों गांव की तकदीर बदल जाएगी। लेकिन यह पूरी तरह राजनीति का मुद्दा बनकर रह गया है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 10:27 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 10:27 AM (IST)
Aurangabad: यहां 70 वर्षों से पानी की किल्‍लत, गोरैया डैम बनने से संवरेगी सैकड़ों गांवों की तस्‍वीर
इसी स्‍थान पर होना है गोरैया डैम का निर्माण। जागरण
शुभम कुमार, औरंगाबाद। नक्सल प्रभावित देव प्रखंड के दक्षिणी इलाके में पानी का अभाव है। पानी न होने के कारण जमीन बंजर हो रही है। हालात यह है कि बारिश होने पर किसान धान लगाते हैं परंतु जब बारिश नहीं होती है तो खेतों में दरारें फट जाती हैं। यहां के किसान वर्षों से सुखाड़ की मार झेल रहे हैं। इस वर्ष बारिश होने के कारण किसानों के खेत में कुछ धान हुआ परंतु आधे से अधिक जमीन बंजर रह गए। इस इलाके में गया जिले के छकरबंधा के जंगल से पहाड़ों के बीचो-बीच पानी आता है परंतु बांध न होने के कारण ग्रामीण इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। पहाड़ पर बांध न होने से पानी बर्बाद हो जाता है। इसे गोरेया डैम के नाम से जाना जाता है। यहां जब कोई अधिकारी आते हैं तो ग्रामीणों की भीड़ लग जाती है। उन्हें ऐसा लगता है कि अधिकारी के द्वारा इस बांध का निर्माण कराया जाएगा। दैनिक जागरण की टीम जब इस बांध पर पहुंची तो ग्रामीणों की पहुंचे। ग्रामीण अपनी पीड़ा बयां करने लगे।
5000 बीघा भूमि हो सकेगी सींचित 
बांध गोरेया डैम का निर्माण हुआ तो पांच हजार बीघा से अधिक जमीन सिंचित होगी। प्रखंड की आठ पंचायतों के सैकड़ों गांव आबाद हो जाएंगे। बनुआ, बेढना, बेढनी, बरंडा रामपुर, एरौरा, पश्चिमी केताकी समेत अन्य पंचायत के गांवों के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगी। खेतों में हरियाली आते ही इलाके में खुशहाली आएगी। किसानों ने सूखे खेत को दिखाते हुए कहा कि - देखिए साहब, इस वर्ष भी खेत की क्या स्थिति है। अगर बारिश नहीं हुई होती तो निचली खेत में भी धान नहीं हो पाती। गेहूं भी बारिश के भरोसे ही होता है। बांध गोरेया डैम की निर्माण को लेकर हमेशा मामला उठता रहता है। ग्रामीण ग्रामीण अशोक कुमार यादव एवं पैक्स अध्यक्ष बिजेंद्र कुमार यादव अनिल ने बताया कि पहली बार यहां 70 वर्ष से पानी के लिए ग्रामीण परेशान हैं। पहले अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचे थे।
डिजाइन बन गया लेकिन लॉकडाउन ने डाली बाधा 
स्‍थानीय जनप्रतिनिधि अशोक कुमार यादव कहते हैं कि गोरेया डैम की निर्माण के लिए हमारे द्वारा हर प्रयास किया जा रहा है। पूर्व में जिला पदाधिकारी को पत्र दिया था। लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की गई थी। इसका डिजाइन बना लिया जिस है। जल्द ही अधिकारियों की टीम निरीक्षण करने वाली थी परंतु लॉकडाउन लग गया। पैक्स अध्यक्ष विजेंद्र कुमार यादव का कहना है कि बांध गोरेया डैम का अगर निर्माण हो गया तो सैकड़ों गांव के किसानों के घर खुशहाली आ जाएगी। बहुत दिन अब हमलोग चुप रह गए। पानी के लिए दर-दर भटकते हैं। अब जनआंदोलन किया जाएगा। अगले चुनाव में इसका जवाब दिया जाएगा।विजय कुमार उर्फ गोलू यादव कहते हैं कि बांध निर्माण को लेकर केवल आश्वासन दिया जाता रहा है। आश्वासन का घूंट पीते यहां के ग्रामीणों को 70 वर्ष से अधिक बीत गया। अब हम सभी आश्वासन नहीं बल्कि खेतों में पानी चाहिए।
 
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