गर्मी शुरु होते ही खिसका जलस्तर, पेयजल की होने लगी किल्लत
अप्रैल माह में पड़ रही भीषण गर्मी के चलते जहां ताल-तलैया सूखे पड़े हैं वही ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट भी गहराने लगा है। भूगर्भ जलस्तर के खिसकने से कई घरों में चापाकल पानी देना कम कर दिया है।
संवाद सूत्र, सूर्यपुरा : रोहतास। अप्रैल माह में पड़ रही भीषण गर्मी के चलते जहां ताल-तलैया सूखे पड़े हैं, वही ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट भी गहराने लगा है। भूगर्भ जलस्तर के खिसकने से कई घरों में चापाकल पानी देना कम कर दिया है। नतीजतन लोगों को दूसरे के घरों से पानी लाने की मजबूरी आ गई है।
बारुन गांव निवासी 85 वर्षीय रामनाथ सिंह, चंद्रमा शर्मा आदि ने बताया कि हम लोगों के समय मे हर मोहल्ले में कुआं हुआ करता था, जहां से सभी लोग पीने के लिए पानी घर में संचय कर के रखते थे। पानी बर्बाद नही होता था। नहर के किनारे बने चाट आहर, ताल तलैया में भी पानी भरा रहता था, जिससे पशु-पक्षियों को भी आसानी से पानी मिल जाया करता था। परंतु बदलते परिवेश में लोग जल संचय के प्रति काफी उदासीन हुए हैं। भूगर्भ से यंत्रो द्वारा जल का दोहन किया जा रहा है।
कई बुजुर्गों ने कहा कि चाट, आहर, पोखर आदि अतिक्रमण की चपेट मे आने से सिचाई व्यवस्था भी चरमराने लगी है। एक समय था, जब सूर्यपुरा बडा तालाब, रानी का पोखरा, छोटका पोखरा सहित आहरों मे सालों भर पानी भरा रहता था, पर प्रशासन व लोगों के उदासीन रवैया के चलते आज सभी सूखे पडे हैं। काव नदी, ठोरा नदी की धारा कभी रुकती नहीं थी, लेकिन भूगर्भ जल स्तर के खिसकने तथा भीषण गर्मी के प्रकोप से सब शिथिल सा पड़ने लगा है। कहते है लोग :
स्थानीय निवासी अशोक सिंह, विजय सिंह आदि ने बताया कि इस मामले मे प्रशासन को सख्त होना होगा। अतिक्रमण की चपेट मे पडे आहर, चाट आदि की जल्द से जल्द सफाई करा लोगों को जल संचय के प्रति जागरूक होना होगा। कल्याणी गांव निवासी विद्यानंद पांडेय ने बताया कि कई वार्डो में नल-जल का पानी नहीं मिला। वहीं जल मीनार का समुचित लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। अधिकांश नल टूटे पडे हैं, जिससे पानी की बर्बादी हो रही है। डॉ. राजनारायण सिंह बताते हैं कि ओजोन की परतों का असर व सूर्य की ताप से सब कुछ सुख रहा है। ऐसे में इसके लिए आम लोगों को जागरूक होना जरूरी है। सरकार की योजना :
जलस्त्रोतों को बनाए रखने व जल संचय के उद्देश्य से सरकार ने सर्वे कराकर 2019 में मुख्यमंत्री जल जीवन हरियाली योजना के तहत आहर, पइन की खुदाई, वाटर रेन हार्वेस्टिग व कुओं का जीर्णोद्धार करने का निर्णय लिया था। हालांकि कुओं के जीर्णोद्धार होने की खबर सुन लोगो के मन में काफी उम्मीद थी, कि फिर से कुओं के पास पुरानी किलकारियां सुनाई देगी। लेकिन अब तक यह योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं दिख रही है। कहते हैं जेई:
जेई मनजीत कुमार ने बताया की प्रखंड में 55 कुओं के जीर्णोद्धार का लक्ष्य है। जिसमें सूर्यपुरा का सर्वे हो गया है और स्टीमेट भी बन गया है, परंतु कार्य कहीं नहीं हो रहा है। कहते हैं अधिकारी :
प्रखंड में कुओं के जीर्णोद्धार के लिए सर्वे हुआ है। यहां 117 कुआं हैं, जिसमे 55 सार्वजनिक व 62 निजी हैं। सार्वजनिक कुओं की सूची पीएचईडी को सौंपी गई है। इसके अलावा क्षेत्र में 405 आहर व पइन हैं, जिसमें 238 आहरों पर मनरेगा से कार्य कराया जाएगा।
राजीव रंजन सिंहा, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी