दस लाख रुपये खर्च करने के बाद भी खेतों तक नहीं पहुंचा पानी

प्रखंड की नगवां पंचायत के कुंडीलपुर-मोहनपुर गाव के सीमा पर वन विभाग क्षेत्र में अवस्थित हदहदवा बाध से दस लाख रुपये खर्च किए जाने के बाद भी किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच रहा है। इसका कारण पईन की खुदाई नहीं होने से बाध का बार-बार टूट जाना है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 02:48 AM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 02:48 AM (IST)
दस लाख रुपये खर्च करने के बाद भी खेतों तक नहीं पहुंचा पानी
दस लाख रुपये खर्च करने के बाद भी खेतों तक नहीं पहुंचा पानी

इमामगंज (गया ): प्रखंड की नगवां पंचायत के कुंडीलपुर-मोहनपुर गाव के सीमा पर वन विभाग क्षेत्र में अवस्थित हदहदवा बाध से दस लाख रुपये खर्च किए जाने के बाद भी किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच रहा है। इसका कारण पईन की खुदाई नहीं होने से बाध का बार-बार टूट जाना है। सात गांवों के सैकड़ों हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने वाली मिनी जल परियोजना सिर्फ पईन की खुदाई के अभाव में बेकार हो जा रही है। स्थानीय किसान सुरेश प्रसाद बताते हैं कि करीब चार दशक पूर्व सर्वप्रथम क्षेत्र के अविभाजित बिहार के तत्कालीन सासद उपेंद्र नाथ वर्मा ने कच्चे बाध का निर्माण कराया था। जन सहयोग से पईन की खुदाई हुई थी। जंगल से काफी मात्रा में वर्षा का पानी आता था। हदहदवा के जंगली नाले (ढोढ़ा) में सालों भर पानी रहता था। हल्की बारिश होने पर भी मोहनपुर कुंडीलपुर के खेत व आहर तक पानी पहुंच जाता था। लेकिन 1996 में आयी बाढ़ ने कच्चे बाध का नामोनिशान मिटा दिया। फिर तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक उदय नारायण चौधरी ने बाध की स्थिति का जायजा लिया। 1997-98 में पाच लाख की लागत से पक्का बाध का निर्माण कराया गया। लेकिन पईन की खुदाई नहीं हो सकी। फलस्वरूप बाध में इतना पानी आया कि बाध पुन: टूट गया।

बांध टूटने के साथ खेतों तक पानी पहुंचना बंद

वर्ष-2005 के बिहार सरकार की टीम में जब कृषि मंत्री नागमणि बने तो उन्होंने पुन: बाध के लिए पाच लाख की स्वीकृति देकर बाध का निर्माण कराया। इस बार भी पईन की खुदाई नहीं हो सकी। परिणाम हुआ कि पुन: दूसरी बरसात का पानी को रोकने में बाध अक्षम हो गया। बाध टूट गया। उस समय से बाध टूटा पड़ा है। क्षेत्र के मोहनपुर, कुंडीलपुर, सलवार, केसंधा, पथरा, उजियार बहेरा, नावाखाप गाव के खेतों तक पानी पहुंचना बंद है। सिंचाई के अभाव में खेत बंजर पड़े हैं।

जंगल उजड़ने के साथ टूटा बांध

स्थानीय दिनेश कुमार, जयनंदन प्रसाद, सरयू यादव, कमलेश सिंह आदि बताते हैं कि प्रारंभिक दौर में जब बांध बना था तो यहा घना जंगल था। ग्रामीण श्रम सहयोग से गाव लोगों ने खुदाई कर आहर व खेत तक पानी पहुंचा दिया था। बीच-बीच में पईन की सफाई कर देने से पानी चला जाता था। लेकिन वर्ष 2000 के पूर्व ही पुराने जंगल को उजाड़कर नया पेड़ लगाने का अभियान आया तो पूरा जंगल उजड़ गया। इसके कारण पानी का बहाव तेज आने लगा। पइन से पानी का निकास संभव नहीं हो सका। फलस्वरूप बाध टूट गया।

इस साल बांध निर्माण होगा शुरू

इमामगंज डुमरिया क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी जगलाल महतो के पुत्र अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि हदहदवा बाध निर्माण के लिए नवार्ड के तहत मापी कराकर स्टीमेट भेजा गया है। जल जीवन हरियाली के तहत बाध व पईन की खुदाई होने की दिशा में काम आगे बढ़ चुका है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल बाध का निर्माण शुरू हो जाएगा।

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