गया के नक्सल क्षेत्र की बंजर भूमि स्प्रिंकलर से बन गई उपजाऊ, अब पहली बार हो रही मूंग की खेती

गया जिले के डुमरिया प्रखंड का भदवर अतिनक्‍सलप्रभावित की श्रेणी में है। यहां सिंचाई साधनों की घोर कमी है। ऐसे में नाबार्ड की पहल पर यहां स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई की जा रही है। इससे बंजर भूमि अब उपजाऊ हो गई है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 10:02 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 10:02 AM (IST)
गया के नक्सल क्षेत्र की बंजर भूमि स्प्रिंकलर से बन गई उपजाऊ, अब पहली बार हो रही मूंग की खेती
स्प्रिंकलर से हो रही खेत की सिंचाई। जागरण

मानपुर (गया), जागरण संवाददाता। जिला मुख्यालय से करीब 102 किमी की दूरी पर स्थित अति नक्सल प्रभावित डूमरिया का भदवर गांव। यह मनुआही पहाड़ की गोद में बसा है। यहां झोपड़ी व फूस के बने करीब 200 घरों में कई पीढ़ी से लोग रह रहे हैं। इस गांव के चारों ओर काफी संख्या में उपजाऊ भूमि (Fertile Land) है। लेकिन सिंचाई संसाधन के अभाव में भूमि बंजर (Barren) हो गई थी। किसानों की स्थिति खराब हो गई थी। ऐसे में नाबार्ड (NABARD) की पहल ने यहां की सूरत बदल दी। स्प्रिंकलर (Sprinkler) से सिंचाई की व्‍यवस्‍था हुई तो वर्तमान में यहां मूंग की फसल लहलहाने लगी है। यह देखकर दूसरे गांव के भी किसान प्रभावित होकर स्प्रिंकलर विधि को अपनाने की मन बनाने लगे।

ऐसे बंजर भूमि हो गई उपजाऊ

भदवर गांव का जायजा लेने वर्ष 2019 में समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी के साथ नाबार्ड के अधिकारी पहुंचे। मनुआही पहाड़ के नीचे एक छायादार पेड़ के नीचे संस्था और नाबार्ड के अधिकारी ने गांव वालों के समक्ष बैठक की। गांव की मुख्य समस्या सिंचाई ही दिखी। उभरकर सामने आया। नाबार्ड के अधिकारियों ने कहा कि स्प्रिंकलर से कम पानी में बेहतर सिंचाई होगी और उपज भी अच्छी होगी। स्प्रिंकलर लगाने के लिए सारा खर्च सरकार देगी। इसमें किसानों का कोई खर्च नहीं होगा। किसानों की सहमति बनी। वर्ष 2020 के नवंबर माह में स्प्रिंकलर लगाने की पहल शुरू की गई। यह आज बनकर तैयार है। इससे फसल सिंचित हो रही हैं। 

वर्षा जल की तरह स्प्रिंकलर से पड़ता है फुहार  

गांव के बधार में बोरिंग कर बिजली संचालित मोटर की गई। करीब दो एकड़ भूमि में पाइप बिछाई गई। जगह-जगह पर नल लगाया गया। जिस तरफ के नल खोलेगे उस तरफ की फसल फुहारे के जैसी सिंचित होगी। यानि फसल वर्षा की पानी की तरह सिंचित होती है। 

पहली बार मूंग की हुई खेती 

भदवार गांव की भूमि में पानी काफी कम है। इसके कारण यहां की खेती वर्षा पर आधारित है। सिंचाई के अभाव में भदवर के किसान मूंग की खेती कभी नहीं करते थे। नाबार्ड की पहल से गांव में स्प्रिंकलर की सुविधा हुई तो यहां के किसानों ने करीब दो एकड़ भूमि में मूंग की फसल लगाई है। किसान वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि स्प्रिंकलर से कम पानी में भी फसल सिंचित हो जातीी हैं। लागत कम और उपज बेहतर होती है।  नकलाल प्रसाद, वरवाडीह के सुदर्शन लाल, संतोष कुमार ने बताया कि अपनी भूमि में स्प्रिंकलर लगाकर अगले साल से मूंग की फसल उपजाएंगे। इसके पूर्व धान एवं गेहूं के भी फसल को स्प्रिंकलर से ही सिंचित की जाएगी। 

पौधे के उपर से पानी देने से काफी फायदे 

समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी ने बताया कि वर्षा का पानी पौधे के उपर फुहारे के जैसा गिरता है। जिससे पौधे के पते में रहे कीट-पतंग नष्ट हो जाती है। वर्षा के जैसा ही स्प्रिंकलर से पानी के फुहारे पौधे के उपर से गिरते रहता है। जिससे पौधे के पते में रहने वाले किट-पतंग नष्ट हो जाते है। जलवायू के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत स्प्रिंकलर लगाकर पानी की वचत की जा रही है। इसमें किसानों को सत्य प्रतिशत अनुदान दिए जाते हैं।

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