नवादा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से जंगल पार कर, दस किलोमीटर पैदल चल कर, वोट देने पचंबा पहुंचे वोटर
गोद में अपने अपने बच्चों को लेकर वोट देने पहुंची गीता देवी सरस्वती देवी कंचन देवी ने बताया कि जंगल में बसे गांवों में विकास कोसों दुर है। जंगल पहाड़ को पार कर बस इस उम्मीद में पहुंचे हैं कि गांव में विकास हो।
नवादा, कुमार गोपी कृष्ण। बिहार पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के तहत कौआकोल प्रखंड में चुनाव के दौरान काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। जंगल, पहाड़ पार कर दस किलोमीटर का फासला तय कर वोटर बूथ पर पहुंच रहे हैं। प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित दनिया गांव का बूथ पचंबा में स्थानांतरित कर दिया गया है। जिउतिया पर्व में निर्जला उपवास कर घने जंगल व पहाड़ के बीच बसे दनिया, झरनवा, रानिगदर गांव की महिलाएं वोट देने पचंबा गांव पहुंची। गोद में अपने अपने बच्चों को लेकर वोट देने पहुंची गीता देवी, सरस्वती देवी, कंचन देवी ने बताया कि जंगल में बसे गांवों में विकास कोसों दुर है। जंगल, पहाड़ को पार कर बस इस उम्मीद में पहुंचे हैं कि गांव में विकास हो। हर बार उम्मीदवार भरोसा दिलाते हैं, लेकिन वायदा पूरा नहीं करते हैं।
वोट देकर पेड़ के नीचे आराम फरमाते दिखे वोटर
जंगल में बसे गांवों से वोट देने पचंबा पहुंचे वोटर पेड़ के नीचे आराम फरमाते दिखे। वोट देने के बाद आराम कर रहे वोटरों ने बताया कि जंगल और पहाड़ पार करके आये हैं। दस किलोमीटर का सफर पैदल तय किया है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर सड़क मार्ग से आते तो 40 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ता। वोटरों का कहना है कि वे गांव में विकास की आस में अपना मुखिया चुनने इतना कष्ट उठाकर आए हैं। वे भी चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़े और गांव में बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना ना पड़े।
2014 चुनाव में हुआ था हंगामा
बता दें कि पहले दनिया गांव में ही बूथ हुआ करता था। उपसरपंच सरयुग ठाकुर ने बताया कि 2014 में चुनाव के दौरान नक्सलियों से पुलिस का मुठभेड़ हुआ था। जिसके बाद मतदान अधिकारी व कर्मी गांव नहीं आना चाहते हैं। इसलिए पचंबा में बूथ बना दिया गया है। यह बूथ गांव से करीब 10 किमी दूर है।