गया में ग्रामीणों ने किया कमाल, निजी जमीन और श्रमदान से बना डाली 1500 फीट सड़क

गया जिले के अतरी प्रखंड के ग्राम पंचायत नरावट के टोला भादिन के ग्रामीणों ने करीब 1500 फीट सड़क श्रमदान और खुद की जमीन दान कर बना दिया है। इस गांव से आवागमन में बेहद मुश्किल होती थी खासकर मरीजों को अस्‍पताल तक ले जाने में काफी परेशानी थी।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Tue, 02 Nov 2021 10:40 AM (IST) Updated:Tue, 02 Nov 2021 10:40 AM (IST)
गया में ग्रामीणों ने किया कमाल, निजी जमीन और श्रमदान से बना डाली 1500 फीट सड़क
नरावट पंचायत के टोला भादिन गांव में श्रमदान करते सड़क बनाते ग्रामीण। जागरण फोटो।

अतरी (गया), संवाद सूत्र। गया जिले के अतरी  प्रखंड के ग्राम पंचायत नरावट के टोला भादिन के ग्रामीणों ने  करीब 1500 फीट सड़क श्रमदान और खुद की जमीन दान कर बना दिया है। इस गांव से आवागमन में बेहद मुश्किल होती थी, खासकर मरीजों को अस्‍पताल तक ले जाने में काफी परेशानी थी। लोगों ने जन प्रतिनिधियों से सड़क बनवाने की कइ्र बार मांग की, मगर हर बार आश्‍वासन ही मिलता रहा । अंत में ग्रामीणों ने खुद ही सड़क बना डाली।

एंबुलेंस भी एक किमी दूरी ही मरीजों को उतार देती

ग्रामीण रंजीत चौधरी, धर्मवीर चौधरी, रवि चौधरी, गुड्डी देवी, चंद्रकली देवी ने बताया कि खेत की क्यारी के सहारे हमलोग गांव में आते जाते थे। बारिश के दिनों में  लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता था और मोटरसाइकिल दूसरे गांव में लगाना पड़ता था। मरीजों को एवं  गर्भवती को अस्पताल ले जाने के लिए  चारपाई के सहारे एक किलोमीटर दूर ले जाना पड़ता था तब जाकर  गाड़ी मिलती थी। एंबुलेंस भी एक किलोमीटर दूर नरावट गांव में ही रोक देती थी। 1500 फीट सड़क बनाने के लिए ग्रामीणों ने  प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों से लगातार गुहार लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुनी।  जिसके बाद  ग्रामीणों ने श्रमदान कर सड़क बनाने का फैसला लिया और कर दिखाया।

श्रमदान के साथ ही निजी जमीन भी दान किया

ग्रामीणों ने कहा कि हमलोग अपने निजी जमीन दान किया। इसके बाद 1500 फीट लंबी तथा 12 फीट चौड़ी सड़क श्रमदान कर बनाया है।  ग्रामीणों ने कहा की किसी भी क्षेत्र के विकास का पैमाना सड़क को माना जाता है। राज्य से लेकर केंद्र सरकार आधारभूत संरचना सड़क निर्माण के लिए प्रति वर्ष अरबों रुपए खर्च कर रही है। वहीं कई विभागों में विकास की राशि खर्च नहीं होने के कारण सरेंडर हो जाती है। परंतु आज भी कई ऐसे गांव है। जहां लाेग छोटी-छोटी सड़कों के लिए मोहताज हैं। सड़क निर्माण के लिए ग्रामीण कई बार संबंधित विभाग से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि को भी अवगत करा चुके थे।परंतु कोई ठोस पहल नहीं किया गया।  किया। 10 दिन में  श्रमदान के माध्यम से गांव में गाड़ी आने जाने   लायक सड़क बना दिया गया है।

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