पटना से आई टीम की निगरानी में गया में हो रहा पशुओं का टीकाकरण, पांच अक्‍टूबर तक अभियान

गया जिले में 9.88 लाख पशुओं को एचएस-बीक्यू का टीका लगाने का है लक्ष्य। लंगड़ी बुखार व गलाघोंटू बीमारी से बचाने के लिए हर साल दुधारू पशु को लगाया जाता है टीका पटना से आई टीम प्रखंडों में पहुंचकर कर रही निरीक्षण 600 वैक्सीनेटर घर-घर पहुंचकर कर रहे टीकाकरण

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 09:58 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 09:58 AM (IST)
पटना से आई टीम की निगरानी में गया में हो रहा पशुओं का टीकाकरण, पांच अक्‍टूबर तक अभियान
गया में किया जा रहा पशुओं का टीकाकरण। सांकेतिक तस्‍वीर

गया, जागरण संवाददाता। दुधारू पशुओं को लंगड़ी बुखार व गलाघोंटू रोग (Black quarter and Hemorrhagic Septicemia) से बचाव के लिए एचएसबीक्यू (HSBQ) का टीका लगाया जा रहा है। इसके लिए पांच अक्टूबर तक पखवाड़ा मनाया जा रहा है। जिले में 9.88 लाख पशुओं को टीका लगाना है। अब तक 99 हजार 700 पशुओं को टीका लगाया जा चुका है। टीकाकरण का मुआयना करने के लिए पटना से जांच टीम भी आई है। एचएस-बीक्यू का टीका (Hemorrhagic Septicemia and Black Quarter Vaccine)  पशुपालन विभाग की ओर से मुफ्त लगाया जा रहा है। अगर आपने अपने पशुओं को यह टीका नहीं लगाया है तो जल्‍द लगवा लें। यह आपके पशुओं को जानलेवा बीमारियों से बचाता है। 

वैक्सीन की गुणवत्ता बेहतर रखने के लिए कोल्ड चेन का ध्यान रखना जरूरी

पटना से आई जांच टीम में डा. आनंद कुमार व अन्‍य सदस्‍य शामिल हैं। इनलोगों ने घूम-घूमकर टीकाकरण का जायजा लिया। यह भी देखा कि कोल्‍ड चेन मेंटेन की जा रही है कि नहीं। ताकि वैक्सीन की गुणवत्ता बनी रहे। इसके साथ ही पशुपालकों से मिलकर उनके यहां रहे पशुओं को टीका लगवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके साथ ही पशुओं की इयर टैगिंग की भी जांच की जा रही है। शुक्रवार को जांच टीम ने बेलागंज, खिजरसराय व अतरी प्रखंड में जाकर टीकाकरण का जायजा लिया। जांच के दौरान इलाके के नोडल अफसर भी साथ में रहते हैं।

पास्चुरेला मलटोसिडा जीवाणु से बचाएं अपने मवेशी को 

जिला पशुपालन विभाग के एपीओ डा. रौशन कुमार बताते हैं कि गलाघोंटू व लंगड़ी रोग बारिश के दिनों में पशुओं को अपनी चपेट में लेता है। दरअसल गलाघोंटू के लिए जिम्‍मेदार पास्चुरेला मलटोसिडा (Pasteurella Multocida) नामक जीवाणु मवेशी के पेट में ही पाया जाता है। यह लार से घास पर गिरता है। फिर यह  तेजी से पशु को अपनी चपेट में ले लेता है।  समय से पशु का इलाज नहीं होने पर पशु की जान भी जा सकती है।

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