गया में 100 रुपये किलो बिक रही तुलसी, श्रीहरि के चरण पर चढ़ते राम और श्याम दोनों तरह के पत्ते
आम दिनों के अपेक्षा पितृपक्ष में तुलसी का खपत अधिक हो गया है। प्रत्येक दिन 200 किलोग्राम तुलसी की खपत हो रही है। तुलसी की अधिक खपत होने का मुख्यकारण पितृपक्ष है। पितृपक्ष में प्रत्येक दिन काफी संख्या श्रद्धालु भगवान श्रीहरि विष्णु के चरण चिन्ह पर तुलसी अर्पित करते है।
जागरण संवाददाता, गया। आम दिनों के अपेक्षा पितृपक्ष में तुलसी का खपत अधिक हो गया है। प्रत्येक दिन 200 किलोग्राम तुलसी की खपत हो रही है। तुलसी की अधिक खपत होने का मुख्यकारण पितृपक्ष है। पितृपक्ष में प्रत्येक दिन काफी संख्या श्रद्धालु भगवान श्रीहरि विष्णु के चरण चिन्ह पर तुलसी अर्पित करते है। जिसके कारण तुलसी काीखपत अधिक हो गयी है। श्रीहरि के चरण पर राम और श्याम तुलसी चढ़ रहे है। विष्णुपद मंदिर के पास कई तुलसी बिक्री की दुकानें खुली है। तुलसी विक्रेता उमेश कुमार मधुकर ने कहा कि पितृपक्ष में तुलसी की खपत काफी अधिक बढ़ जाती है। आम दिनों 20 किलो तुलसी का खपत है। जबकि पितृपक्ष में दो सौ किलो तुलसी का खपत प्रत्येक दिन हो रहा है। पितृपक्ष में तुलसी का अलग महत्व है। कहा जाता है कि राजा दशरथ के पिंडदान के समय माता सीता ने तुलसी को गवाह के रूप में श्रीराम के समक्ष पेश किया था, लेकिन वह मुकर गई। इसके बाद माता सीता ने तुलसी को शाप दिया था कि तुम्हारी पूजा तो होगी मगर तुम जहां-तहां उपज जाओगी।
उद्यान से आ रही तुलसी श्रीहरि के चरण पर चढ़ रहे
विष्णुपद क्षेत्र में स्थित तुलसी उद्यान से आता है। उद्यान से राम और श्याम तुलसी दोनों आता है। क्योंकि उद्यान में काफी संख्या में तुलसी का पौधा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र से भी तुलसी आ रहा है। राम तुलसी के अपेक्षा श्याम तुलसी की मांग अधिक है। जबकि श्याम तुलसी की उपज राम तुलसी के अपेक्षा कम होती है।
तुलसी की बिक्री और हो सकता है वृद्धि
बाजार में तुलसी सौ रुपये किलों बिक रहा है। जबकि बिक्री में और अधिक वृद्धि होने का संभावना है। तुलसी विक्रेताओं को कहना है कि पितृपक्ष के आखिरी पांच दिन में श्रद्धालु काफी संख्या में आते है। एकादशी से लेकर अमावस्या तक तुलसी का मांग कई गुणा बढ़ जाता है। तुलसी अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होता है। जिसके कारण बिक्री और अधिक हो जाता है।