गया में बाराचटटी में खुल रही स्‍वच्‍छता अभियान की पोल, इस गांव के सिर्फ एक घर में है शौचालय

गया के बाराचट्टी प्रखंड स्थित कदल गांव में करीब पांच दर्जन परिवार रहते हैं। लेकिन इस गांव के केवल एक घर में शौचालय है। सामूहिक शौचालय बनाया गया लेकिन उसमें पुआल रखा हुआ है। ऐसे में स्‍वच्‍छता अभियान की सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 10:31 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 10:31 AM (IST)
गया में बाराचटटी में खुल रही स्‍वच्‍छता अभियान की पोल, इस गांव के सिर्फ एक घर में है शौचालय
सामुदायिक शौचालय में रखे गए पुआल। जागरण

बाराचट्टी (गया), संवाद सूत्र। गया के बाराचट्टी प्रखंड का कदल एक ऐसा गांव जहां सिर्फ एक घर में शौचालय का निर्माण किया गया है हालांकि वह भी अपूर्ण है। बोधगया की एक संस्था ने सुदंर सिंह भोक्ता के घर के सामने सामुदायिक शौचालय (Community Toilet) का निर्माण कराया था। परंतु उसका उपयोग न करके उसमें नेवारी (पुआल) रखा जा रहा है। लगभग 67 घरों के इस गांव में एक को छोड़कर किसी के भी घर में शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है। इसकी वजह जागरूकता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही है।

पैसा का अभाव है शौचालय कैसे बनाएं

एक ओर प्रधानमंत्री के स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत हर घर में शौचालय बनाया जाना है। इस क्रम में कई गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। परंतु कदल गांव में जाने के बाद इसकी हकीकत कुछ और ही बयां होती है। गांव की सुमन देवी, चिंता देवी, बसिया देवी, बुधन सिंह भोक्ता, छेदी सिंह भोक्ता, पैरू सिंह भोक्ता कहते हैं कि हम लोग सुबह शाम मेहनत कर दो पैसे का जुगाड़ करते हैं जिससे घर परिवार चलता है। शौचालय बनाने के लिए इतना पैसा नहीं है कि बना लें और ना ही इसके लिए सरकार की तरफ से कोई मदद का भरोसा दिया गया।

जंगल-पहाड़ों के बीच में बसा है कदल

चिंता देवी एवं सुमन देवी कहती है कि हम लोगों का गांव जंगल और पहाड़ों के बीच में बसा हुआ है। शौच क्रिया के लिए इसी जंगलों के झाड़ी में जाना पड़ता है जहां जंगली जानवरों का डर बना रहता है। क्या करें बेबस और लाचार होकर जंगल की तरफ ही शौच क्रिया को जाते हैं। अगर शौचालय बन जाता तो हम लोगों के लिए बहुत बड़ी बात होती लेकिन गरीबी के सामने कुछ नहीं बन पाता है।

लोग शौचालय बनवाना ही नहीं चाहते हैं

हालांकि ग्रामीणों के दावे के इतर जीविका के प्रखंड परियोजना पदाधिकारी अजय मिश्रा बताते हैं कि उस गांव में शौचालय बनाने का प्रयास किया गया परंतु लोग बनाना नहीं चाहते हैं। वहां कुछ लोगों को शौचालय निर्माण करने के बाद प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी कर दिया गया है।

chat bot
आपका साथी