Success Story: तीन भाइयों ने लिखी सफलता की कहानी, 8400 के व्‍यवसाय को पहुंचा दिया पांच करोड़ पर

किराना दुकान से शुरू व्‍यवसाय को तीन भाइयों ने कपड़े के एक बड़े शो रूम तक पहुंचा दिया। लगन और मेहनत से पांच करोड़ का व्‍यवसाय बना दिया। इनकी सफलता वैसे युवाओं को प्रेरणा देने वाली है जो सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर हताश हो जाते हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 08:30 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 08:30 AM (IST)
Success Story: तीन भाइयों ने लिखी सफलता की कहानी, 8400 के व्‍यवसाय को पहुंचा दिया पांच करोड़ पर
अपनी दुकान में मुकेश, राजेश और राकेश। जागरण

जेएनएन, औरंगाबाद। सरकारी नौकरी हर युवा का सपना होता है। इसके लिए वे जी-जान से प्रयास करते हैं।  अधिक से अधिक डिग्रियां हासिल करते हुए दूर-दूर पर जाकर परीक्षा देते हैं। इनमें सफलता नहीं मिलने पर युवा हताश हो जाते हैं। लगता है कि सरकारी नौकरी ही जीवन है। ऐसे में हम आपको शहर के उन तीन युवाओं से मिलाने जा रहे हैं, जिनका मूल मंत्र था मेहनत, मेहनत और मेहनत। इनकी सफलता आपको प्रेरणा देगी। आपको पता चलेगा कि मेहनत और लगन हो तो किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की जा सकती है।

ये तीन भाई हैं शहर के बराटपुर निवासी मुकेश कुमार गुप्‍ता, राजेश कुमार गुप्‍ता और राकेश कुमार गुप्‍ता। दादा प्रद्युम्‍न प्रसाद के व्यवसाय को आधुनिकता के दौर में संभालते हुए आगे बढ़ाया। तीनों भाइयों ने अपनी कठिन मेहनत से व्यवसाय का स्वरूप बदल दिया। आज इनके व्यवसाय से जिले के कोई भी व्यक्ति अनभिज्ञ नहीं हैं।

दादा ने 1662 में खोली थी पहली किराना दुकान

मुकेश गुप्‍ता ने बताया कि 1962 में हमारे दादा ने दुकान की नींव रखी थी। उस वक्त आकर्षण किराना के नाम से किराना जेनरल स्टोर था। कम उम्र में ही पिता ने दुकान संभाल ली। 1992 में इस दुकान का नाम बदलकर मनपसंद किराना रख लिया गया। जिले का यह चर्चित किराना स्टोर था। तीनों भाई बड़े हुए तो 2005 में व्यवसाय का बागडोर संभाला। इसके बाद 2005 में परिधान बिग शॉप नाम के कपड़े की दुकान खोली गई। इसके बाद 2009 में मनपसंद वस्त्रालय खोला गया। आज यह जिले का चर्चित और बड़ा प्रतिष्‍ठान है।

8400 से पांच करोड़ रुपये तक का सफर

किराना दुकान से लेकर मनपसंद वस्‍त्रालय तक के सफर में तीनों भाइयो का मेहनत और समर्पण काबिलेतारीफ रहा। इसी का नतीजा था कि 8400 रुपये के व्यवसाय को तीनों ने पांच करोड़ तक पहुंचा दिया। मुकेश ने बताया कि दोनों दुकान के अलावा कुछ अन्य कार्य से करीब पांच करोड़ रुपये का व्यवसाय हो रहा है। यह हमारे दादा एवं पिता के आर्शीवाद के कारण संभव है। उन्हीं के व्यवसाय को हमने आगे बढ़ाया है।

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