Gaya: इस गांव में न आहर है और न बोरिंग, आज भी कुएं से सिंचाई के लिए मजबूर हैं यहां के लोग

गया जिले के डुमरिया प्रखंड में बरबाडीह गांव है। यहां आज भी सिंचाई के लिए लोग कुएं पर निर्भर हैं। वहां न तो आहर हैं न पईन और न डैम। इस कारण प्राय हर किसान अपने यहां कुएं खोदवाने को मजबूर हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:40 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:40 AM (IST)
Gaya: इस गांव में न आहर है और न बोरिंग, आज भी कुएं से सिंचाई के लिए मजबूर हैं यहां के लोग
कुआं खोद रहे गांव के किसान। जागरण

इमामगंज(गया), संवाद सूत्र। गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल के डुमरिया प्रखण्ड में किसानों को खेती करने के लिए इस आधुनिक युग में सिंचाई का साधन नहीं मिलने से किसान फिर पुरानी परंपरा (Traditional sources of Irrigation) को अपनाने लगे हैं। क्‍योंकि उनके पास कोई और साधन नहीं है। ऐसे में वे कुएं पर निर्भर हैं।  

खेती के लिए नहीं है सिंचाई के साधन 

प्राप्त जानकारी के अनुसार डुमरिया प्रखण्ड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर बरबाडीह एक गांव है। जहां के अधिकांश लोग खेती पर निर्भर करते हैं। लेकिन सिंचाई के लिए साधन के अभाव में खेती सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। इससे गांव में आज भी काफी गरीबी है। इसे दूर करने के लिए किसान एक सौ साल पहले की तकनीक से खेती करने के लिए कुंआ खोदकर सिंचाई करने की परंंपरा अपना रहे हैं।खेत तक पानी पहुंचाने के लिए जब सरकार नाकाम हो गयी। ग्रामीण एक बार फिर एक सौ साल पुराने तकनीक से खेत को सिंचाई करने के लिए कुंआ खोद रहे हैं।

गांव में न नहर की सुविधा और न आहर-पईन की

इस सम्बंध में किसान बद्री प्रसाद के पत्नी उर्मिला देवी बताती है कि इस गांव में न नहर  की सुविधा है और न ही आहर, पइन, डैम की व्यवस्था है। जिससे खेतों की सिंचाई हो सके। सबसे बड़ी आफत तो यह है कि इस गांव में जमीन के 20 से 25 फीट नीचे पत्थर है। जिससे जल स्तर की घोर कमी है। यही बजह रहा है कि इस गांव में आधुनिक व मशीनरी युग में भी बोरिंग से पानी  नहीं निकल रहा है। जिस कारण से ग्रामीण जो किसानी करते हैं  वे अपने व अपने परिवार को जीविका चलाने के लिए कुंआ खोदकर खेती करने को विवश है। यही बजह है कि इस गांव में अभी करीब 15 से बीस कुआं है। जिससे सिंचाई कर खेती की जाती है। 

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