तीन माह से दूध और सत्तू पीकर जी रहा नवादा का यह कैदी, जानिए क्‍या है इस बेबसी का कारण

नवादा मंडल कारा के कई बंदी बीमार हैं। उन्‍हें इलाज के लिए बाहर रेफर किया जा चुका है। लेकिन कई पेच की वजह से उन्‍हें रेफर नहीं किया जा रहा है। इनमें से एक बंदी की हालत काफी गंभीर है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 04:48 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 05:00 PM (IST)
तीन माह से दूध और सत्तू पीकर जी रहा नवादा का यह कैदी, जानिए क्‍या है इस बेबसी का कारण
सदर अस्‍पताल में इलाजरत रामप्रवेश और पिंटू। जागरण

नवादा, जागरण संवाददाता। सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इलाजरत एक बंदी राम प्रवेश यादव की हालत लगातार बिगड़ रही है। तीन-चार महीने से स्थिति ऐसी है कि वह मुंह से कुछ खा नहीं पा रहा। दूध और सत्‍तू का घोल पीकर ही उसके दिन गुजर रहे हैं। बड़े डॉक्टरों ने रेफर कर दिया है। लखनऊ के एसपीजीआइ में इलाज कराना है। लेकिन सिस्टम का पेच ऐसा है कि उसे इलाज के नहीं ले जाया जा रहा। पति की हालत देख पास खड़ी पत्‍नी बसंती देवी रो पड़ती हैं। कहती हैं सर, इलाज नहीं हुआ तो ये मर जाएंगे। इन्‍हें कुछ हो गया तो चार बेटा, दो बेटी और मुझे कौन देखेगा। चार महीना हो गया मुंह से कुछ खाया नहीं जा रहा है। पटना तक इलाज कराया गया। पटना से  लखनउ रेफर किया गया है।

रामप्रवेश के मुंह में लगी थी गोली

बसंती देवी बताती हैं कि राम प्रवेश यादव के मुंह में गोली लगी थी। अब उनका मुंह खुलता नहीं है। मुंह से कुछ भी खाना मुश्किल हो गया हैं। सिर्फ लिक्वीड ले पा रहे हैं। शरीर लगातार कमजोर होता जा रहा है। पटना के सेंट्रल हॉस्पीटल में  31 जनवरी से 12 मार्च तक इलाज चला था। फिर 12 मार्च को वहां से डिस्चार्ज किया गया था। डिस्चार्ज स्लीप पर आंख-कान की परेशानी बताते हुए एसपीजीआइ लखनऊ रेफर कर दिया गया। लेकिन मंडल कारा नवादा प्रशासन वहां ले जाने की जगह यहां ले आया और सदर अस्पताल में एडमिट करा दिया।

अधिकारी नहीं ले रहे संज्ञान

राम प्रवेश बोलने की स्थिति में नहीं हैं। इशारों में बात करते हैं। बसंती बताती हैं कि तीन-चार बार डीएम साहब से मिलने का प्रयास किया लेकिन गार्ड ने मिलने नहीं दिया। बस आवेदन ले लिया। अब तक कुछ नहीं हुआ है।

कई और बंदी है रेफर, नहीं मिल रहा सिक्योरिटी गार्ड

रोह थाना के महकार निवासी राम प्रवेश यादव का मामला सरकार की अनुमति को लेकर फंसा हुआ है। लेकिन, सदर अस्पताल में ऐसे कई और बंदी हैं जो जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण परेशानियां झेल रहे हैं। नारदीगंज के पेश निवासी सिंटू चौधरी की उम्र 18  साल है। हत्या के मामले में गिरफ्तार है। 18 मार्च से अस्पताल में है। पटना रेफर किया गया है, लेकिन अबतक यहीं पड़ा है। हॉर्निया की परेशानी के बाद अस्पताल आया। अब ब्रेन में कुछ परेशानी है। बेड पर बेसुध पड़ा रहता है। मां दुलरा देवी बेटे का हाल देख रोती रहती है।  इसी तरह नवादा के पार निवासी संजय रजक का पुत्र राजा कुमार 13 मार्च से भर्ती है। विम्स पावापुरी के लिए रेफर है, लेकिन ले जाने वाला कोई नहीं है। इसी तरह पटना जिले के रहने वाले नंद राय को शराब मामले में गिरफ्तार किया गया था। पटना के लिए उन्‍हें भी रेफर किया जा चुका है। कौआकोल थाना क्षेत्र के संजय यादव को सड़क लूट मामले में जेल भेजा गया। सात महीने से पेट की पथरी से परेशान है। उसे भी पटना रेफर किया जा चुका है।  ओढ़नपुर का किशन कुमार मारपीट मामले में 30 मार्च से भर्ती है। उसे एक दिन पूर्व पटना ले जाया गया था। रात में ही लौटा दिया गया।

यहां फंसा है पेच

इस मसले पर मंडल कारा के अधीक्षक अभिषेक कुमार पांडेय से बात करने पर उन्होंने बताया कि राम प्रवेश का मामला अंतरराज्यीय है। राज्य से बाहर इलाज के लिए ले जाने में राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत होती है। स्थानीय स्तर से आवश्यक पत्राचार कर दिया गया है। अनुमति मिलने के बाद बंदी को सुरक्षा व्यवस्था के बीच इलाज के लिए संबंधित अस्पताल ले जाया जाएगा। पत्राचार के कई दिन बीत चुके हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि एक माह बीत गए, सरकार की अनुमति कब आएगी, यह कौन सी व्यवस्था है कि एक माह तक किसी को इलाज कराने की अनुमति नहीं दी जाती है। इस सवाल का जवाब देने को कोई तैयार नहीं है। इधर, सुरक्षा गार्ड मुहैया नहीं होने के कारण बंदियों को इलाज में हो रही परेशानी से शनिवार को एसपी डीएस सावलाराम को अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि ठीक है देख लेती हूं। 

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