जांच कमेटी को सहयोग नहीं कर रहे थे वीर कुंवर सिंह विवि के कुलपति, जबरिया भेजे गए अवकाश पर
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी को जांच कमेटी को सहयोग नहीं करना महंगा पड़ गया। राजभवन ने यहां के कुलपति को अनिवार्य अवकाश यानी छुट्टी पर भेज दिया है। राजभवन ने अधिसूचना जारी कर दी है।
जागरण संवाददाता, आरा। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी को जांच कमेटी को सहयोग नहीं करना महंगा पड़ गया। राजभवन ने यहां के कुलपति को अनिवार्य अवकाश यानी छुट्टी पर भेज दिया है। उनके विरुद्ध लगाए गए प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोपों की जांच होने तक अवकाश पर रहने का आदेश दिया गया है। राजभवन ने अधिसूचना जारी कर दी है।
इस दौरान मगध विश्वविद्यालय, बोध गया के कुलपति राजेन्द्र प्रसाद वीर कुंवर ङ्क्षसह विश्वविद्यालय के अतिरिक्त प्रभार में रहेंगे। इधर, अधिसूचना की चर्चा विश्वविद्यालय के गलियारे में पूर्वाह्न 10 बजे से होती रही। बता दें कि विगत मार्च में राजभवन द्वारा अधिकृत एलएन मिश्र विवि के कुलपति सुरेंद्र प्रताप ङ्क्षसह की अध्यक्षता में जांच कमेटी जब विश्वविद्यालय पहुंची थी तो कुलपति प्रो. तिवारी और उनके मातहत अधिकारियों ने बाधाएं पहुंचाई थी। इसके बाद जांच कमेटी विगत 21 मार्च को राजभवन सचिवालय में प्रतिवेदन जमा किया था, जिसमें जांच में सहयोग न करके बाधा पहुंचाने की शिकायत की गई थी।
मार्च में आई थी जांच कमेटी
इस मामले पर राजभवन सख्त था। क्योंकि मार्च में आई कमेटी के साथ कुलपति ने दुव्र्यवहार किया था। कमेटी बिना जांच किए लौट गयी थी। इस पर राजभवन ने शो कॉज भी कुलपति से किया था। अब राजभवन ने पुन: जांच की बात कही है। राजभवन की कार्रवाई को पिछले दिनों कुलसचिव डॉ. धीरेंद्र कुमार ङ्क्षसह से किया गया शो कॉज से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बहरहाल मामला जो भी हो इस मामले से कुछ पक्ष खुश तो कुछ गम में है।
क्या था मामला
कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी पर लगे गंभीर आरोप की जांच को ले राजभवन द्वारा गठित कमेटी 21 मार्च को विवि पहुंची थी। आरोप लगाने वाले विभिन्न पक्षों को भी बुलाया गया था। हालांकि बात उस वक्त बिगड़ गयी जब कमेटी के सदस्यों पर ही कुलपति प्रो. तिवारी ने सवाल उठा दिया। नतीजा यह रहा कि कमेटी बिना जांच के ही लौट गयी थी। जब चैम्बर में ङ्क्षसडिकेट सदस्य देववंश ङ्क्षसह से कमेटी पूछताछ कर रही थी, उसी वक्त मामला बिगड़ गया।
वीसी ने कमेटी सदस्यों से आरोप लगाने वाले लोगों से पहले बात करने की बात कही। इस पर बात इतनी बिगड़ गयी गयी सदस्यों को राजभवन बात करनी पड़ी। कुलपति प्रो. तिवारी ने कहा कि जिन्हें पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा गया है, पहले उनसे बात की जाए। इस पर जमकर कमेटी सदस्य और वीसी के बीच बहस हुई। नियम और अधिकार क्षेत्र को लेकर कुलपति प्रो. तिवारी और जांच कमेटी के अध्यक्ष सह ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप ङ्क्षसह के बीच बात काफी आगे बढ़ गयी।
सदस्यों ने उस दौरान कहा था कि जांच में किसी से भी पूछताछ की जा सकती है। इस पर कुलपति प्रो. तिवारी ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है। वीसी ने कमेटी सदस्यों को जूनियर भी करार दिया और कहा कि आप हमारी जांच नहीं कर सकते हैं। इसकी शिकायत भी हमने राजभवन से कर दी थी। बहस के बीच में जांच कमेटी के एक सदस्य कुलपति प्रो. हनुमान पांडेय ने राजभवन के लीगल ऑफिसर से बातचीत की। ताकि अधिकर क्षेत्र पर किसी प्रकार का द्वंद्व नहीं रहे। इसके बावजूद बात नहीं बनी थी।