धान बेचने का सिस्‍टम किसानों को कर रहा परेशान, महज पांच फीसद किसानों ने ही कराया है निबंधन

नवादा जिले में किसानों की संख्‍या करीब दो लाख है लेकिन धान बेचने के लिए महज दस हजार किसानों ने ही निबंधन कराया है। यह कुल किसानों की संख्‍या का महज पांच फीसद है। किसान कहते हैं कि सिस्‍टम के झोल से वे बचना चाहते हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 02:00 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 02:00 PM (IST)
धान बेचने का सिस्‍टम किसानों को कर रहा परेशान, महज पांच फीसद किसानों ने ही कराया है निबंधन
धान बेचने के लिए महज पांच फीसद किसानों ने कराया निबंधन। जागरण आर्काइव

जेएनएन, नवादा। जिले में किसानों की संख्‍या दो लाख से ज्यादा है। लेकिन बात जब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, बाढ़-सुखाड़ राहत, डीजल अनुदान सहित अन्य योजनाओं के लिए लाभ के लिए निबंधन की होती है तो उनकी संख्‍या काफी कम हो जाती है। धान बेचने के लिए निबंधन कराने वाले कृषकों की संख्‍या महज 10 हजार के आसपास रहती है। अर्थात महज पांच फीसद किसान ही धान बेचने (Paddy Sell) के लिए निबंधन कराते हैं। दरअसल, कुछ किसान सिस्टम के झोल में फंसने से बचना चाहते हैं तो कुछ के समक्ष परिस्थितियां ऐसी होती है कि वे सहकारी संस्थानों के गोदाम खुलने के पहले खुले बाजारों की ओर रुख कर लेने को मजबूर होते हैं। 

23 से होनी थी लेकिन अब तक शुरू नहीं हो सकी धान की खरीदारी

आम तौर पर हर वर्ष बिहार में 15 नवंबर से धान खरीद का ऐलान होता रहा है। चुनावी साल होने के कारण इस वर्ष 23 नवंबर को सरकार ने धान खरीद का गाइडलाइन जारी किया। सरकार का पत्र प्राप्त हुआ तो सहकारिता विभाग व जिला प्रशासन की बैठकें होने लगी। नतीजा ये कि अबतक धान खरीद शुरू नहीं हो सकी है। जो स्थिति है उसमें धान खरीद दिसंबर माह तक होने की संभावना नहीं है। ऐसे में छोटे-मंझोले किसान रबी फसल की बोआई अथवा अन्य जरूरी कार्यवश अपने उत्पाद को बाजार में बेच देते हैं। जबकि एेसा करने से उन्हें खासा नुकसान भी होता है। फिलवक्त सरकार द्वारा साधारण धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 प्रति क्विंटल निर्धारित है। जबकि बाजार में 1200 रुपये के आसपास बिक रहा है। जिले में 2 लाख 13 हजार के करीब किसान हैं। पिछले वर्ष इनमें से 9 हजार 418 ने धान बेचने के लिए निबंधन कराया था।

जटिल है धान खरीद की प्रक्रिया

वारिसलीगंज प्रखंड के कोचगांव निवासी किसान व भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्‍यक्ष आल्‍हा बहादुर सिंह कहते हैं कि धान खरीद की प्रक्रिया काफी जटिल है। इसे सरल किया जाना चाहिए। किसानों को भुगतान भी समय से हो। लेकिन ऐसा होता ही नहीं। मजबूरी में किसान कम दाम मिलने पर भी बाहर अनाज बेच देते हैं।

हालांकि, जिला सहकारिता पदाधिकारी शहनबाज आलम कहते हैं कि इस वर्ष धान की खरीद में छोटे व मंझोले किसान को प्राथमिकता दी जाएगी। उनके उत्पाद की खरीद व समर्थन मूल्य का लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा। 

कांग्रेस विधायक ने मुद्​दे को गरमाया, कहा,धान खरीद में भ्रष्‍टाचार चरम पर

हिसुआ से कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने इस मुद्​दे को गरमा दिया है। गुरुवार को उन्होंने साफ कहा कि किसानों से धान खरीद में पारदर्शिता होनी चाहिए। अभी इसमें भ्रष्टाचार चरम पर है। नवादा जले में सारा भुगतान कोआपरेटिव बैंक के माध्यम से होता है। अन्य बैंकों को भी इससे जोड़ा जाना चाहिए। इसके साथ ही भ्रष्टाचार के आरोपित व चार्जशीटेड कोआपरेटिव अध्यक्ष को हटाने की मांग की है। मालूम हो कि धान खरीद में अनियमितता की शिकायत मिलने पर सांसद चंदन सिंह ने पिछले वर्ष धान खरीद का ब्‍योरा मांगा था। लेकिन उन्‍हें कहा गया कि सबकुछ वेबसाइट पर अपलोड है। लेकिन ऐसा था नहीं।

chat bot
आपका साथी