इन्द्रपुरी बराज से अब हो रही सोन नहरों में पानी की आपूर्ति, आठ किमी ऊपर किया गया था इसका निर्माण

एनीकट बराज के निर्माण के एक शताब्दी बाद सिल्ट भरने व नहरों के अंतिम छोर तक पानी की आपूर्ति नही होने के कारण यहां से आठ किमी ऊपर इन्द्रपुरी बराज का निर्माण किया गया। यह बराज स्वतंत्र भारत काल की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:35 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 11:35 AM (IST)
इन्द्रपुरी बराज से अब हो रही सोन नहरों में पानी की आपूर्ति, आठ किमी ऊपर किया गया था इसका निर्माण
बिहार के इंद्रापुरी बराज की तस्‍वीर। जागरण आर्काइव।

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑनसोन (सासाराम)। एनीकट बराज के निर्माण के एक शताब्दी बाद सिल्ट भरने व नहरों के अंतिम छोर तक पानी की आपूर्ति नही होने के कारण यहां से आठ किमी ऊपर इन्द्रपुरी बराज का निर्माण किया गया। यह बराज स्वतंत्र भारत काल की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके निर्माण के बाद साढ़े 11 लाख भूमि सिंचित होने लगी।

बाणसागर व रिहन्द पर है निर्भर

इंद्रपुरी बराज मध्य प्रदेश के बाणसागर व उत्तर प्रदेश के रिहन्द जलाशय पर निर्भर है। प्रतिवर्ष केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) प्रतिवर्ष बिहार के हिस्से की पानी का आवंटन करता है।

बाणसागर समझौता

सोन नहर प्रणाली को जीवंत रखने को सन 1973 में बाणसागर समझौता किया गया। उस समय बिहार ,मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्रियो ने उस समझौता पर हस्ताक्षर किया था। समझौता के अनुसार मध्य प्रदेश के  बाणसागर जलाशय में 10 लाख एकड़ फीट व उत्तर प्रदेश के रिहंद जलाशय में 2•5 मिलियन एकड़ फीट पानी को बिहार के लिए रिजर्व रखा जाता है। जब इंद्रपुरी बराज पर पानी की उपलब्धता कम होती है तो वैसी परिस्थिति में बिहार सरकार के स्तर से एग्रीमेंट के अनुसार पानी की मांग की जाती है।

खरीफ व रवि फसल को छोड़ा जाता है पानी

इंद्रपुरी बराज से सोन नहर प्रणाली के माध्यम से खेतों की प्यास बुझाने के लिए पानी छोड़े जाने का विभाग द्वारा जून 2001 को अधिसूचना जारी की गई है। उक्त अधिसूचना के अनुसार खरीफ फसल के लिए 20 मई से 30 अक्टूबर तक व रवि फसल के लिए 10 दिसंबर से 10 अप्रैल तक नहरों में पानी छोड़े जाने की व्यवस्था है।

14 हजार फीट चौड़ा है सोन का पाट

देश के सबसे लंबे बराज के रूप में चर्चित इस बराज का नामकरण जल देने वाले देवता के नाम पर किया गया। 21 नवम्बर 1965 में उस समय देश के सबसे अधिक लंबे इस बराज का उद्घाटन देश के गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा ने किया था। इसकी लंबाई 4613 फीट है। यहां सोन नदी 14 हजार फीट चौड़ा है। बराज की लंबाई इस लिए कम रखी गई ताकि सोन का बालू इस बराज को नाकाम न करने पाए। बराज के पास शेष भाग को दोनों ओर पत्थर व मिट्टी के बने बांध द्वारा पाट दिया गया। बराज के साथ नई संयोजक नहरे बनी। पुरानी नहरों से उसे जोड़ दिया गया।

इन्द्रपुरी बराज की खूबियां

इस बराज की लंबाई 4613 फीट है। इसका जलाशय स्तर 355 आर एल है। उच्चतम बाढ़ स्तर 363 .90 है। इस बराज का अधिकतम जल निस्तरण 14.30 लाख घन फीट प्रतिसेकेंड है। बराज में 60 फाटक लगे है। प्रत्येक फाटक की ऊंचाई 14 फीट से ज्यादा है। यहां जल की औसत गहराई 16 फीट से ज्यादा है।

उच्चस्तरीय नहर का हुआ निर्माण

1965 में जल सिचन प्रणाली के विस्तार की नई योजना बनी। उच्चस्तरीय नहर प्रणाली का निर्माण कैमूर जिले के रामगढ़ के मातर गांव तक किया गया। वहां कोहिरा जलाशय से निकली हुई छोटी नहर से जोड़ दिया गया। 80 किमी लंबे इस नहर से कैमूर व रोहतास जिले के 56144 हेक्टेयर खेतो की सिचाई होती है।

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