कैमूर के इस स्‍कूल पर तरस खाते छात्र पर जिम्‍मेवार को परवाह नहीं, जान से भी हो रहा खिलवाड़

सबसे पुराने स्कूलों में शुमार प्लस टू जायसवाल हाई स्कूल अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इस विद्यालय में उपलब्ध आधारभूत संरचना की घोर कमी है। लगभग 1700 छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए मात्र 11 नियमित और तीन गेस्ट शिक्षक बहाल हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 11:56 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 11:56 AM (IST)
कैमूर के इस स्‍कूल पर तरस खाते छात्र पर जिम्‍मेवार को परवाह नहीं, जान से भी हो रहा खिलवाड़
प्‍लस टू जायसवाल हाईस्‍कूल का जर्जर क्‍लासरूम। जागरण।

संवाद सूत्र, नुआंव (भभुआ)। प्रखंड के सबसे पुराने स्कूलों में शुमार प्लस टू जायसवाल हाई स्कूल अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इस विद्यालय में उपलब्ध आधारभूत संरचना की घोर कमी है। लगभग 1700 छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए मात्र 11 नियमित और तीन गेस्ट शिक्षक बहाल हैं। ऐसे में शिक्षक छात्रों का अनुपात सरकार द्वारा मान्य अनुपात से काफी अधिक है। छात्रों को पढ़ने के लिए केवल 14 कमरे हैं। यदि प्रति कमरे में छात्रों की संख्या देखी जाए तो एक कमरे में सौ से अधिक छात्र बैठकर पढ़ते हैं। जो कमरे हैं वे भी जीर्ण शीर्ण अवस्था में हैं। बरसात के दिनों में इन कमरों में पानी टपकता रहता है। विद्यालय में दो शौचालय हैं। जिसमें एक खराब पड़ा है तथा एक चालू हालत में है। इसी शौचालय का उपयोग विद्यालय के छात्र-छात्राएं, शिक्षक और शिक्षिकाएं करती हैं। शौचालय जैसी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति कैसे होती होगी, सहज हीं अंदाजा लगाया जा सकता है। घंटी बजने के बाद छात्रों को शौचालय के लिए बाहर मैदान में जाते हुए कोई भी देख सकता है।

विद्यालय में कमरों की है कमी

एक कंप्यूटर लैब है जो बंद पड़ा है। जिम के लिए समान उपलब्ध है लेकिन बड़े कमरे के अभाव में उसे दो कमरे में रखा गया है। जिसके कारण इसका उपयोग नहीं हो पाता है। विद्यालय के शिक्षक से पूछने पर उन्होंने बताया कि नौवीं कक्षा में कुल लगभग 380 बच्चे नामांकित हैं। जिसमें 360 छात्र और 20 छात्राएं हैं। इन बच्चों के लिए तीन सेक्शन बनाए गए हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रति सेक्शन लगभग 130 छात्र हैं। इस तरह एक कमरे में 130 छात्र बैठकर कैसे पढ़ते होंगे इसका सहज हीं अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह की स्थिति दसवीं , ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में भी है। दसवीं वर्ग में लगभग 620 छात्र हैं। जिसमें 320 छात्र और 300 छात्राएं हैं। इसमें छात्रों के लिए तीन सेक्शन और छात्राओं के लिए तीन सेक्शन बनाए गए हैं। इस तरह देखा जाए तो नौंवीं और दसवीं को मिलाकर नौ सेक्शन हैं। जबकि नौवीं और दसवीं के लिए मात्र छह शिक्षक सरकार द्वारा नियुक्त किए गए हैं। यदि सभी शिक्षक प्रतिदिन और सभी क्लास लें तो भी विद्यालय के शिक्षक द्वारा दी गई सूचना के अनुसार तीन वर्ग खाली रहते होंगे।

इंटर में कई विषयों के नहीं है शिक्षक

वर्ग 11 वीं में साइंस और आर्ट्स मिलाकर कुल लगभग 269 छात्र और छात्राएं नामांकित हैं। जिसमें आर्ट्स के 187 और साइंस के 82 छात्र हैं। बारहवीं में कुल लगभग 267 छात्र छात्राएं नामांकित हैं। जिसमे 187 आर्ट्स के और 80 साइंस के छात्र हैं। इस तरह इंटरमीडिएट में कुल लगभग 530 छात्र और छात्राएं नामांकित हैं। इनके लिए मात्र 5 नियमित शिक्षक नियुक्त हैं तथा तीन गेस्ट शिक्षक हैं। आर्ट्स विषय में केवल इतिहास, अर्थशास्त्र, गृहविज्ञान, और हिंदी के शिक्षक नियुक्त हैं। अन्य विषयों के शिक्षक नहीं हैं। इसी तरह विज्ञान संकाय में एक मात्र रसायन विज्ञान के नियमित शिक्षक नियुक्त हैं, जबकि भौतिक, रसायन और अंग्रेजी के गेस्ट शिक्षक नियुक्त हैं। इस तरह इतना तो स्पष्ट है कि इस विद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है और शिक्षकों की कमी की वजह से छात्रों की पढ़ाई के नाम पर केवल कोरम हीं पूरा किया जाता होगा।

कहते हैं समिति के सदस्य

विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य बेचन लाल श्रीवास्तव ने बताया कि शिक्षक और कक्षाओं की विद्यालय में घोर कमी है। शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए प्रबंधन समिति द्वारा नौवीं और दसवीं के लिए तीन शिक्षकों को प्राइवेट रूप से रखा गया है। विद्यालय के कमरों की स्थिति जर्जर है। बारिश के मौसम में कमरों में पानी टपकता है। अभी लगभग दस वर्ष पहले इंटरमीडिएट की कक्षा संचालन के लिए चार कमरों का निर्माण कराया गया था। ये कमरे भी बारिश के मौसम में टपकते हैं। फर्श दो दो बार उखड़ चुकी है। विद्यालय में कमरों की मरम्मत के साथ हीं चार अतिरिक्त कमरे और शिक्षकों की महती आवश्यकता है।

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