सरकारी तंत्र का दंश: जलजमाव के चलते पानी वाला मोहल्ला बोला जाता सासाराम शहर का ये पॉश इलाका
मोहल्लावासियों का आरोप है कि नगर परिषद उनसे सुविधा के नाम पर विभिन्न तरह की टैक्स तो लेती है लेकिन सुविधाएं देने में कोताही करती है। कहने पर वार्ड आयुक्त भी नहीं सुनते हैं। मोटा पाइप नाला से कनेक्ट कर देने से जलजमाव की समस्या दूर हो जाएगी।
जागरण संवाददाता, सासाराम। जिला मुख्यालय वाले इस शहर को हाल ही में नगर निगम बनाने की घोषणा की गई है। अभी यहां नगर परिषद कार्य करती है। लेकिन, नप की लापरवाही व उपेक्षा से शहर में एक ऐसा मोहल्ला भी है, जिसे पानी वाला मोहल्ला कहा जाने लगा है।
जी हां! सालों भर जलजमाव वाले वार्ड 10 के सट्टादार गेट के अंदर बसे इस मोहल्ले के मुख्य सड़क पर लगभग दो वर्षों से गंदे पानी का जमाव बना हुआ है। 40 वार्ड वाले इस शहर का यह इलाका तेजी से पॉश क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। इस मोहल्ले में बड़-बड़ी बिल्डिंग बन गई हैं। मुख्य सड़क की चौड़ाई भी 55 से 60 फीट है। लेकिन नगर परिषद की उदासीनता के चलते न सिर्फ सड़क जर्जर है, बल्कि उसके ऊपर सालों भर नाली का गंदा पानी जमा रहता है। इसके चलते इस मोहल्ले में टेंपो व रिक्शा वाले भी आने से कतराते हैं।
जिलाधिकारी आवास व विद्युत कॉलोनी के ठीक सामने पुरानी जीटी रोड के किनारे बसे इस मोहल्ले की स्थिति नगर परिषद के चलते नारकीय हो गई है। बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी बदतर हो जाती है। यहां आने-जाने वाले लोग मजबूरी में मुख्य सड़क के किनारे बने नाला पर चढ़कर जाने को विवश हैं। लेकिन नाला पर कई जगह स्लैब नहीं होने के चलते, अक्सर लोग नाला में गिरकर चोटिल हो जाते हैं।
मोहल्लावासियों का आरोप है कि नगर परिषद उनसे सुविधा के नाम पर विभिन्न तरह की टैक्स तो लेती है, लेकिन सुविधाएं देने में कोताही करती है। कहने पर वार्ड आयुक्त भी नहीं सुनते हैं। लोगों ने बताया कि महज एक मोटा पाइप नाला से कनेक्ट कर देने से ही यहां जलजमाव की समस्या दूर हो जाएगी, जिसमें काफी कम खर्च आएगा। लेकिन नगर परिषद इस जहमत को भी उठाने को तैयार नहीं है। टूटी फूटी सड़क की मरम्मत करने की बात तो दूर लोगों को जलजमाव से मुक्ति दिलाने में भी नगर परिषद नाकाम रही है। नाली के अभाव में घरों से निकलने वाला पानी इस वार्ड की खाली पड़े भूखंडों में जमा रहता है। जिसके चलते यहां सालों भर गंदे पानी का जमाव रहता है। बदबू से आसपास के लोगों का रहना मुश्किल है। ऐसे में बरसात के दिनों में स्थिति और भी खराब हो जाती है।
स्थानीय निवासी अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह, चंद्रशेखर सिंह समेत अन्य का कहना है कि इस समस्या को लेकर नगर परिषद में कई बार गुहार लगाई जा चुकी है। लेकिन न तो नगर परिषद के अधिकारी व कर्मी और ना ही वार्ड आयुक्त कुछ सुनने को तैयार हैं। जिससे यहां रहने वाले लोग नगर परिषद को टैक्स देने के बावजूद अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।