गया जेल में मोबाइल रखने के आरोप में बंदी को पुलिस ने पीटा, हालत बिगड़ने पर भी नहीं कराया भर्ती

उपकारा में एक बंदी पुलिस पिटाई से हालात बिगड़ गई। जानकारी मिलने पर शनिवार को बंदी के स्वजनों ने जेल गेट पर हंगामा कर दिया। आरोप लगाया कि जेल में पुलिस ने बंदी की मोबाइल रखने के आरोप में जमकर पिटाई की है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 12:49 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 12:49 PM (IST)
गया जेल में मोबाइल रखने के आरोप में बंदी को पुलिस ने पीटा, हालत बिगड़ने पर भी नहीं कराया भर्ती
शेरघाटी उपकारा में बंदी की पिटाई। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

संवाद सहयोगी, शेरघाटी (गया)। उपकारा में एक बंदी पुलिस पिटाई से हालात बिगड़ गई। जानकारी मिलने पर शनिवार को बंदी के स्वजनों ने जेल गेट पर हंगामा कर दिया। आरोप लगाया कि जेल में पुलिस ने बंदी की मोबाइल रखने के आरोप में जमकर पिटाई की है। उसकी हालत काफी खराब है। थाना क्षेत्र का बिट्टीबीघा निवासी मृत्युंजय पासवान आपराधिक मामले में उपकारा में बंद है। उसकी मां रूबी देवी और पत्नी नीतू देवी ने बताया कि दो दिन पहले पुलिसकर्मियों ने उसकी जमकर पिटाई की। शुक्रवार को एक बंदी ने जेल से निकलने के बाद घर पर सूचना दी। उसने बताया कि मृत्युंजय की पुलिस कर्मियों ने बेरहमी से पिटाई की है। इस कारण वह गंभीर रूप से बीमार चल रहा है।

उसके स्वजन व निवर्तमान मुखिया संजय सिंह शनिवार को उससे मिलने पहुंचे तो जेल पुलिस ने मुलाकात कराने से इन्कार कर दिया। काफी मशक्कत के बाद उससे मिलाया गया।  स्वजनों ने बताया कि मृत्युंजय का पूरा शरीर पीला पड़ गया है। स्वजनों ने अधिकारियों से मांग की है कि उसका इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराने की व्यवस्था की जाए। स्वजन एवं उनके साथ आए ग्रामीणों ने जेल गेट पर काफी देर तक हंगामा किया। जेल प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए।

जेल अधीक्षक आशीष कुमार रंजन ने बताया कि बंदी मृत्युंजय पासवान के पास मोबाइल होने की सूचना मिली थी। पुलिस कर्मियों ने पूछताछ की तो वह उसने इन्कार कर दिया। पुलिसकर्मियों ने तलाशी ली तो उसके पास मोबाइल मिला। उन्होंने दावा किया कि मृत्युंजय बिल्कुल स्वस्थ है। उनके पिता, माता एवं पत्नी मिलकर गए हैं। सूत्रों की मानें तो राज्‍यभर के हर जेल में मोबाइल का इस्‍तेमाल होता है। जेल में बकायदा एक संगठित गिरोह रहता है, जो प्रशासन और सिपाहियों की मिलीभगत से मोबाइल व सिम कार्ड को जेल के अंदर पहुंचाता है। साधारण कैदी उन्‍हीं मोबाइल से घर बात करते हैं। इसके एवज में उनसे प्रति मिनट मोटी रकम वसूली जाती है। इस रकम का हिस्‍सा उच्‍च पदासीन लोगों तक पहुंचता है।

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